राजस्थान ऊटों और रेगिस्तान के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। लेकिन अब केमल की संख्या कम होती जा रही है। इसके लिए भजनलाल सरकार ने आर्थिक सहायता के जरिए प्रोत्साहित योजना बनाई है।
राज्य सरकार ने ऊंटों के संरक्षण और उनकी संख्या को बढ़ाने के लिए एक ऊंट पालकों को प्रत्येक ऊंटनी के बच्चे के जन्म के एक साल बाद आर्थिक सहायता दी जाएगी।
पहले जहां ऊंट पालकों को 10 हजार रुपये मिलते थे, वहीं अब इस राशि को बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दिया गया है। ऊंट का दूध भी महंगे दाम पर बिकता है। करीब 120 से 150 रुपए लीटर इसके दाम है।
राज्य सरकार का यह कदम ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के लिए है। 2012 में राज्य में ऊंटों की संख्या 3,25,713 थी, जो 2019 में घटकर 2,12,739 रह गई, यानि इसमें 34.69 प्रतिशत की कमी आई।
ऊटों की कमी के प्रमुख कारणों में ओरण (चरण भूमि) और चरागाह की कमी के साथ-साथ ऊंटों के लिए चारा और पानी की महंगी लागत शामिल हैं।
पशुपालन विभाग ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वो ऊंट पालकों से संपर्क कर उन्हें आवेदन की प्रक्रिया समझाएंगे। ताकि उनको समय पर सहायता राशि मिल सके।