मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम के पोते जैकब का नाम ही इजराइल था। इनके 12 बेटे हुए। इनमें एक का नाम यहूदा या ज्यूडा था। इनकी संताने आगे चलकर यहूदी या ज्यूस कहलाने लगीं।
यहूदी कभी यरुशलम में ही रहते थे लेकिन आज दुनियाभर में बसे हैं। 586 ईसा पूर्व में बेबीलोन के किंग नबूकदनेस्सर ने यरुशलम पर हमला किया और यहूदियों का कत्लेआम मचा, वे जान बचाकर भागे।
476 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य के पतन बाद इजराइली साम्राज्य पर जर्मन राजा ओडोएसर का राज हुआ, जो इटली, पुर्तगाल, स्पेन तक पहुंचा, इसी दौरान व्यापार के लिए यहूदी इन देशों तक पहुंचे
लेखिका Maristella Botticini के अनुसार, कई जंगो की वजह से यहूदियों को पलायन करना पड़ा। दूसरे समुदायों की तरह उनके पास खेती के लिए जमीन भी न थी। दिमाग, मेहनत, ब्याज से अमीर बने।
जब दुनिया में ईसाइयों के कैथोलिक चर्च का दबदबा बढ़ा तो नैतिक वजहों से कर्ज के लेनदेन पर पाबंदी लगा दी। ऐसे में यहूदियों ने इस काम को अपनाया और दुनिया को कर्ज देकर ब्याज वसूलने लगे।
दुनिया में यहूदियों की संख्या काफी कम करीब 1.46 करोड़ ही है, ऐसे में ब्याज से मिले पैसों को उन्होंने परिवार और समुदाय को मजबूत करने में किया। धीरे-धीरे उनके पास पैसा बढ़ता गया।
फोर्ब्स के अनुसार, 1990 तक अमेरिका के 400 अमीरों की लिस्ट में एक चौथाई यानी 100 अकेले यहूदी ही थे। 40 सबसे अमीर लोगों में इनकी संख्या 45 फीसदी यानी करीब 18-19 के पास थी।