बनारस का आधुनिक नाम वाराणसी है। दो नदियों वरुणा और असि के बीच बसे होने से इसका नाम वाराणसी बड़ा। वाराणसी में वरुणा उत्तर में गंगा से और असि नदी दक्षिण में गंगा से मिलती है।
पौराणिक कथाओं और इतिहास के अनुसार, बनार राजा के नाम पर इस प्राचीन नगर का नाम बनारस पड़ा। बनार राजा को लेकर भी अलग-अलग कहानियां इतिहास में हैं। महाभारत में बनारस का जिक्र है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काश शब्द से काशी बना है, जिसका मतलब 'चमकना' होता है। इस हिसाब से काशी का मतलब प्रकाश देने वाली नगरी। काशी नाम को लेकर कई और कहानियां हैं।
इस प्राचीन शहर में बाबा भोलेनाथ की ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ विराजमान हैं, इसलिए इसका नाम बाबा विश्वनाथ की नगरी भी है।
स्कंध पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने काशी का नाम आनंद वन दिया था।
स्कंदपुराण के अनुसार, बाबा भोलेनाथ ने आनंदवन के बाद इस नगरी को अविमुक्त कहा, क्योंकि उन्होंने कभी भी इस नगरी को नहीं छोड़ा।
स्कंदपुराण के जानकार इस शहर को आनंदकानन भी कहते हैं, क्योंकि शिव कैलाश चले गए लेकिन अपने प्रतीक के तौर पर यहां विश्वनाथ शिवलिंग छोड़ गए।
इस शहर को कई और नाम से भी जाना जाता है, इसे काशिका, महाश्मशान, मुक्तिभूमि, रुद्रावास, तपस्थली, त्रिपुरारिराजनगरी और शिवपुरी भी कहा गया है।
वाराणसी में कई मंदिर है, इसलिए इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं। धार्मिक राजधानी, शिव की नगरी, ज्ञान नगरी और दीपों का शहर भी कहा जाता है।