सांप खौफ का दूसरा नाम है, दरअसल इसका काटा पानी नहीं मांगता। ये किसी भी जगह हो सकते हैं। कई सांप की फुफकार से तो लोगों लकवा तक मार जाता है।
सांप में कई विचित्र खूबियां होती हैं। इसमें सबसे अहम होता उसके त्वचा बदलना। सांप अपने जीवनकाल में कई बार केंचुली बदलता है। इस दौरान वो बहुत पीड़ा में रहता है।
केंचुली उतारने की इस प्रोसेस को ईक्डिसिस ( ecdysis) कहा जाता है। हर सांप के लिए ये नेचुरल और कंपलसरी प्रोसेस है, इसमें सांप अपनी पूरी स्किन को उतार कर फेंक देते हैं।
केंचुली उतारने सांप को उन parasites से छुटकारा पाने में मदद करता है, जो उनकी स्किन पर चिपके रहते हैं। फ्रेस स्किन मिलने से सांप की हेल्थ में सुधार होता है।
सांप की उम्र बढ़ने से उसकी स्किन रुखी हो जाती है। उसमें जगह-जगह कट्स लगे दिखते हैं। इससे उसे सरपट भागने में दिक्कत होती है, जिससे उसके शिकार करना आसान हो जाता है।
केंचुली बदलते समय आंखे धुंधली या फिल नीली हो सकती हैं। ये प्रोसेस "ब्लू फेज" कहलाता है, इस समय वे लगभग अंधे हो जाते हैं।
सांप केंचुली निकालने के लिए चट्टान या पेड़ की छाल या किसी सख्त जगह पर खुद को रगड़ते हैं। इससे उनकी स्किन फट जाती है, और इससे निकलने में सांप को आसानी हो जाती है।
सांप अपनी केचुंली मुंह या नाक से से फाड़ना शुरू करते हैं। इसके बाद, वे अपनी बॉडी को ऐंठकर-मोड़कर पुरानी स्किन को निकलते हैं।
सांप एक हर 3-4 महीने में अपनी केंचुली उतार सकते हैं। युवा सांप बहुत जल्दी-जल्दी अपनी केंचली उतारते हैं। वे हर एक महीने में दो बार तक अपनी केंचुली उतार सकते हैं।
केंचुली उतारते समय सांप बहुत इमोशनल होते हैं, वे इस समय छिपकर रहते हैं ताकि वे शिकारियों से बच सकें।
जब सांप केंचुली उतार लेते हैं, तो उन्हें साइनिंग स्किन मिलती है, इस दौरान वे जवान दिखने लगता हैं। कई बार सांप की स्किन का पैटर्न बहुत बेहतर हो जाता है।