धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम और हनुमानजी सहित ये 8 आज भी जीवित हैं

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 26 अप्रैल, रविवार को है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 21, 2020 6:47 PM IST

उज्जैन. श्रीमद्भावत के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। धर्म ग्रंथों के एक श्लोक के अनुसार, परशुराम अमर हैं। इस श्लोक में भगवान परशुराम के अतिरिक्त अन्य कौन महाबली और ऋषि आदि अमर हैं, ये भी बताया गया है-  

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात- अश्वत्थामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमानजी, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम व ऋषि मार्कण्डेय- ये आठों अमर हैं।

ऋषि मार्कण्डेय- भगवान शिव के परम भक्त। शिव उपासना और महामृत्युंजय सिद्धि से ऋषि मार्कण्डेय अल्पायु को टाल चिरंजीवी बन गए और युग-युगान्तर में भी अमर माने गए हैं।

भगवान वेदव्यास- सनातन धर्म के प्राचीन और पवित्र चारों वेदों - ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का सम्पादन और 18 पुराणों के रचनाकार भगवान वेदव्यास ही हैं। 

भगवान परशुराम- जगतपालक भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं। इनके द्वारा पृथ्वी से 21 बार निरकुंश व अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया।

राजा बलि- भक्त प्रहलाद के वंशज। भगवान वामन को अपना सब कुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया।

विभीषण- लंकापति रावण के छोटे भाई, जिसने रावण की अधर्मी नीतियों के विरोध में युद्ध में धर्म और सत्य के पक्षधर भगवान श्रीराम का साथ दिया।

कृपाचार्य- युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि, जो कौरवों और पाण्डवों के गुरु थे।

अश्वत्थामा- कौरवों और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य के सुपुत्र थे, जो परम तेजस्वी और दिव्य शक्तियों के उपयोग में माहिर महायोद्धा थे, जिनके मस्तक पर मणी जड़ी हुई थी। शास्त्रों में अश्वत्थामा को अमर बताया गया है।

हनुमानजी- वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमानजी को अमर होने के वरदान माता सीता ने दिया था।
 

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