इस बार 25 जनवरी, शनिवार से माघ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। धर्म ग्रंथों के एक साल में 4 नवरात्रि होती है। ये चारों नवरात्रि ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं। इनमें से माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि गुप्त होती है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जब भी मौसम बदलता है तो हमें खानपान में सावधानी रखनी होती है। नवरात्रि में व्रत-उपवास करने से ऋतु बदलते समय मौसमी बीमारियों से हमारी सुरक्षा हो जाती है। इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत में ग्रहों के अद्भुत संयोग बन रहे हैं। 25 जनवरी को सूर्य, बुध, शनि और चंद्र मकर राशि में रहेंगे। इससे पहले इन ये ग्रहों के मकर राशि में रहते हुए गुप्त नवरात्रि 175 साल पहले 7 फरवरी 1845 को मनाई गई थी। इस नवरात्रि से पहले शनि का राशि परिवर्तन हुआ है। जानिए गुप्त नवरात्रि से जुड़ी खास बातें…
गुप्त नवरात्रि में करते हैं दस महाविद्याओं की पूजा
गुप्त नवरात्रि दस महाविद्या में विशेष रूप से दस महाविद्याओं के लिए साधना की जाती है। इनके नाम है, मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी।
30 साल बाद गुप्त नवरात्रि में शनि मकर राशि में
- इस बार 30 वर्षों के बाद गुप्त नवरात्रि में शनि अपनी स्वयं की मकर राशि में है। 23 जनवरी की रात शनि ने धनु से मकर राशि में प्रवेश किया है।
- गुरु अपनी स्वयं की धनु राशि में है। मंगल भी अपनी वृश्चिक राशि में रहेगा। मकर राशि में चार ग्रह सूर्य, बुध, शनि एवं चंद्र रहेंगे।
- इससे पूर्व 175 साल पहले 7 फरवरी 1845 को ऐसा संयोग बना था। इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में नहीं बल्कि मीन में था।