कर्ण के बाद पांडवों के मामा बने थे कौरवों के सेनापति, युधिष्ठिर ने किया था उनका वध

महाभारत में अनेक पात्र हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे ही एक पात्र हैं पांडवों के मामा राजा शल्य। राजा शल्य महाराज पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के भाई थे।

उज्जैन. कुरुक्षेत्र मैदान में हुए भीषण युद्ध में उन्होंने कौरव सेना का साथ दिया था। जब दुर्योधन ने कर्ण को सेनापति बनाया तो उस समय राजा शल्य उनके सारथी बने। आगे जानिए राजा शल्य से जुड़ी अन्य रोचक बातें-

- जब राजा शल्य को पता चला कि पांडवों और कौरवों में युद्ध होने वाला है तो वे अपनी विशाल सेना लेकर पांडवों की सहायता के लिए निकल पड़े। दुर्योधन को जब यह पता चला तो उसने राजा शल्य के मार्ग में विशाल सभा भवन बनवा दिए और साथ ही उनके मनोरंजन के लिए भी प्रबंध कर दिया।
- जहां भी राजा शल्य की सेना पड़ाव डालती, वहां दुर्योधन के मंत्री उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था कर देते। इतनी अच्छी व्यवस्था देखकर राजा शल्य बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें लगा कि ये प्रबंध युधिष्ठिर ने करवाया है। राजा शल्य को प्रसन्न देखकर दुर्योधन उनके सामने आ गया और युद्ध में सहायता करने का निवेदन किया।
- राजा शल्य ने उन्हें हां कह दिया। युधिष्ठिर के पास जाकर राजा शल्य ने उन्हें सारी बात बता दी। युधिष्ठिर ने कहा कि आपने दुर्योधन को जो वचन दिया है उसे पूरा कीजिए। युद्ध के समय आप कर्ण के सारथि बनकर उसे भला-बुरा कहिएगा ताकि उसका गर्व नष्ट हो जाए और उसे मारना आसान हो जाए। राजा शल्य ने ऐसा ही किया।
- कर्ण की मृत्यु के बाद दुर्योधन ने राजा शल्य को कौरवों का सेनापति बनाया। युधिष्ठिर से युद्ध करते समय उनकी मृत्यु हो गई।
 

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