इन दिनों शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है। इस उत्सव के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों में मां दुर्गा से संबंधित अनेक कथाएं मिलती हैं। आज हम आपको माता दुर्गा की ऐसी ही कथाओं के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है...
उज्जैन. इन दिनों शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है। इस उत्सव के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों में मां दुर्गा से संबंधित अनेक कथाएं मिलती हैं। आज हम आपको माता दुर्गा की ऐसी ही कथाओं के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है...
माता दुर्गा ने ऐसे तोड़ा देवताओं का अहंकार...
- एक बार देवताओं और दैत्यों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवता विजयी हुए, जिससे उनके मन में अहंकार आ गया। सभी देवता स्वयं को श्रेष्ठ कहने लगे।
- जब माता दुर्गा ने देवताओं को इस प्रकार अहंकार से ग्रस्त होते देखा तो वे तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुई। इतना विराट तेजपुंज देखकर देवता भी घबरा गए।
- तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए इंद्र ने वायुदेव को भेजा। अहंकार में चूर होकर वायुदेव तेजपुंज के समीप पहुंचे। तेज ने उनसे उनका परिचय पूछा।
- वायुदेव ने स्वयं को प्राणस्वरूप तथा अतिबलवान देव बताया। तब तेजस्वरूप माता ने वायुदेव के सामने एक तिनका रखा और कहा कि यदि तुम सचमुच इतने श्रेष्ठ हो तो इस तिनके को उड़ाकर दिखाओ।
- समस्त शक्ति लगाने के बाद भी वायुदेव उस तिनके को हिला नहीं पाए। उन्होंने वापस आकर यह बात इंद्र को बताई। तब इंद्र ने अग्निदेव को उस तिनके को जलाने के लिए भेजा, लेकिन अग्निदेव की असफल रहे।
- यह देख इंद्र का अभिमान चूर-चूर हो गया। उन्होंने उस तेजपुंज की उपासना की तब तेजपुंज से माता शक्ति का स्वरूप प्रकट हुआ। उन्होंने ही इंद्र को बताया कि मेरी ही कृपा से तुमने असुरों पर विजय प्राप्त की है।
- इस प्रकार झूठे अभिमान में आकर तुम अपना पुण्य नष्ट मत करो। देवी के वचन सुनकर सभी देवताओं को अपनी गलती का अहसास हुआ और सभी ने मिलकर देवी की उपासना की।