कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला (अक्षय) नवमी कहते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। इस बार ये पर्व 5 नवंबर, मंगलवार को है।
उज्जैन. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का भारतीय संस्कृति का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है। इस मान्यता और परंपरा के पीछे वैज्ञानिक पक्ष भी हैं, जो इस प्रकार हैं...
ये है आंवले का औषधीय महत्व
- हमारे धर्म में हर उस वृक्ष को जिसमें बहुत अधिक औषधीय गुण हों, उनकी किसी विशेष तिथि पर पूजे जाने की परंपरा बनाई गई है।
- आंवला नवमी की परंपरा भी इसी का हिस्सा है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, आंवला प्रकृति का दिया हुआ ऐसा तोहफा है, जिससे कई सारी बीमारियों का नाश हो सकता है।
- आंवला में आयरन और विटामिन सी भरपूर होता है। आंवले का जूस रोजाना पीने से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। त्वचा में चमक आती है, त्वचा के रोगों में लाभ मिलता है। आंवला खाने से बालों की चमक बढ़ती है।
- हम आंवले के महत्व को समझें व उसका संरक्षण करें। इसी भावना के साथ हमारे बुजुर्गों ने आंवला नवमी का त्योहार मनाने की परंपरा बनाई।