3 चाबियों से खुलते है बद्रीनाथ धाम के कपाट, मंदिर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले ये काम करते हैं पुजारी

Published : May 08, 2022, 10:38 AM IST
3 चाबियों से खुलते है बद्रीनाथ धाम के कपाट, मंदिर में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले ये काम करते हैं पुजारी

सार

उत्तराखंड के चौथे धाम बद्रीनाथ (Badrinath Dham) के कपाट भी आज (8 मई, रविवार) को आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए हैं। पिछले दिनों गंगौत्री (Gangotri), यमुनौत्री (Yamunautri) और केदारनाथ मंदिर (Kedarnath) भी दर्शनों के लिए खुल चुके हैं।

उज्जैन. बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। ये मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे नीलकंठ पर्वत पर स्थित है। ये मंदिर सिर्फ 6 महीनों के लिए खोले जाते हैं। शीत ऋतु के दौरान मंदिर के कपाट बंद ही रहते हैं। मान्यताओं के अनुसार, आदि गुरु शंकराचार्य ने इस धाम की स्थापना की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु ने कठोर तप किया था। तप के दौरान देवी लक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णु जी को छाया दी थी। देवी लक्ष्मी पर प्रसन्न होकर ही भगवान विष्णु ने इस स्थान को बद्रीनाथ के नाम से प्रसिद्ध का वर दिया था।

तीन चाबियों से खुलते हैं बद्रीनाथ के कपाट
बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान से खोले जाते हैं। मंदिर की 3 चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती है। इन तीनों चाबी को लगाने पर ही पट खुलते हैं। एक चाबी उत्तराखंड के टिहरी राज परिवार के राज पुरोहित के पास होती है, जो नौटियाल परिवार से संबंध रखते हैं। दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूकधारी मेहता लोगों के पास होती है और तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास। मंदिर के दरवाजे खुलते ही सबसे पहले रावल (पुजारी) प्रवेश करते हैं। 

घी में लिपटी होती है भगवान की प्रतिमा
पुजारी जब मंदिर में प्रवेश करते हैं तो वे सबसे पहले गर्भगृह में जाते हैं और मूर्ति पर से कपड़ा हटाया जाता है। ये कपड़ा माणा गांव की कुंवारी लड़कियों द्वारा तैयार किया जाता है। मंदिर के कपाट बंद करने से पहले मूर्ति पर घी का लेप लगाया जाता है और इसके ऊपर ये कपड़ा लपेटा जाता है। कपड़ा हटाने के बाद सबसे पहले ये देखा जाता है कि मूर्ति घी से पूरी तरह लिपटी है या नहीं। अगर लिपटी है तो ऐसा माना जाता है कि इस साल देश में खुशहाली रहेगी। घी कम है तो सूखा या बाढ़ की स्थिति बन सकती है।

ध्यान की मुद्रा में स्थापित है भगवान की प्रतिमा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान नर-नारायण ने बद्री वन में ही तपस्या की थी। मंदिर में भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची प्रतिमा है। ये ध्यान मुद्रा में है। यहां कुबेर देव, लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। मंदिर में विष्णु जी के पांच स्वरूपों की पूजा की जाती है, इन्हें पंचबद्री कहते हैं। बद्रीनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य चार स्वरूप भी मंदिर में ही हैं- श्री योगध्यान बद्री, श्री भविष्य बद्री, श्री वृद्घ बद्री, श्री आदि बद्री।

कैसे पहुंचे बद्रीनाथ धाम?
बद्रीनाथ धाम से सबसे करीबी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहा से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 297 किमी है। ट्रेन से ऋषिकेश पहुंचने के बाद बस या कार आदि से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं। नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जोली ग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से बद्रीनाथ करीब 314 किमी दूर है। देहरादून से बद्रीनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से भी ऋषिकेश और उसके बाद बद्रीनाथ धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

Ganga Saptami 2022: 2 शुभ योग में मनाई जाएगी गंगा सप्तमी, गंगा जल के उपाय दूर कर सकते हैं आपकी परेशानी


Chandra grahan 2022: कब होगा साल का पहला चंद्रग्रहण? जानिए तारीख, समय और सूतक से जुड़ी हर खास बात

जिन लोगों का नाम अंग्रेजी के इन 4 अक्षरों से शुरू होता है, उनके पास नहीं होती पैसों की कमी

 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 8 दिसंबर 2025: आज कौन-सी तिथि और नक्षत्र? जानें दिन भर के मुहूर्त की डिटेल
Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?