Bhishma Ashtami 2022: 8 फरवरी को भीष्म अष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, ये है शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

Published : Feb 07, 2022, 11:21 AM IST
Bhishma Ashtami 2022: 8 फरवरी को भीष्म अष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, ये है शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

सार

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami 2022) का व्रत किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब अर्जुन ने भीष्म पितामाह को घायल कर दिया, तब उन्होंने प्राण नहीं त्यागे और सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करते रहे।

उज्जैन. सूर्य के उत्तरायण होने के बाद माघ शुक्ल अष्टमी तिथि पर भीष्म पितामाह ने प्राण त्यागे थे। उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है। इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह (Bhishma Ashtami 2022) के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए, चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों। इस व्रत के करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है…

माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।
श्राद्धच ये नरा: कुर्युस्ते स्यु: सन्ततिभागिन:।।
(हेमाद्रि)


महाभारत के अनुसार जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करता है, उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।
संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।

ऐसे करें भीष्म अष्टमी व्रत
- भीष्म अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर स्नान करना चाहिए।
- यदि नदी या सरोवर पर न जा पाएं तो घर पर ही विधिपूर्वक स्नानकर भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिणाभिमुख होकर निम्नलिखित मंत्रों से तर्पण करना चाहिए-
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।

- इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए-
वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।

भीष्म अष्टमी तिथि एवं मुहूर्त
अष्टमी तिथि आरंभ: 08 फरवरी, मंगलवार, सुबह 06:15 से 
अष्टमी तिथि समाप्त: 09 फरवरी, बुधवार सुबह 08:30 तक 
पूजा मुहूर्त: सुबह 11:29 से दोपहर 01:42 तक 

इस दिन व्रत और पूजा करने से दूर होता है पितृ दोष 
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सुसंस्कारी संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन पितामह भीष्म के निमित्त तर्पण करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन को पितृदोष निवारण के लिए भी उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग उत्तरायण में अपने प्राण त्यागते हैं, उनको जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। 

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