रक्षाबंधन पर ब्राह्मण बदलते है जनेऊ, जानिए इसे पहनने का महत्व, फायदे और नियम

श्रावण मास की पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन (इस बार 3 अगस्त, सोमवार) पर ब्राह्मणों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया जाता है। इस परंपरा का पालन पुरातन काल से किया जा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 31, 2020 2:18 AM IST

उज्जैन. इस दिन ब्राह्मण अपनी पुरानी जनेऊ त्याग कर नई जनेऊ धारण करते हैं। जनेऊ को यज्ञोपवीत भी कहा जाता है। जानिए जनेऊ से जुड़ी खास बातें-

क्या है जनेऊ?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार हिंदू धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं। उन्हीं में से एक है यज्ञोपवीत संस्कार। वर्तमान में ये संस्कार सिर्फ ब्राह्मणों में ही किया जाता है। इस संस्कार में 10 साल से कम उम्र के ब्राह्मण बालकों को जनेऊ धारण करवाई जाती है। यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे। जनेऊ पहनने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है।

तीन सूत्र क्यों?
जनेऊ में मुख्‍य रूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं। साथ ही इन्हें गायत्री मंत्र के तीन चरणों और तीन आश्रमों का प्रतीक भी माना जाता है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

हर धागे में होते हैं 3 तार?
यज्ञोपवीत के हर एक धागे में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।

जनेऊ में होती है पांच गांठ?
यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है, जो ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का प्रतीक भी मानी जाती है।

जनेऊ पहनने के नियम
1.
मल-मूत्र करने से पहले जनेऊ दाहिने कान पर चढ़ा लेनी चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए। इससे जनेऊ अपवित्र नहीं होता।
2. जनेऊ का कोई तार टूट जाए या 6 माह से अधिक समय हो जाए तो इसे बदल देना चाहिए।
3. जन्म-मरण के सूतक के बाद भी जनेऊ बदलने की परंपरा है।
4. यज्ञोपवीत शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। साफ करने के लिए उसे कंठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। भूल से उतर जाए, तो प्रायश्चित करना चाहिए।

जनेऊ पहनने के फायदे
1.
पेशाब करने से पहले दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है और सूर्य नाड़ी जाग्रत होती है। साथ ही पेट से संबंधित बीमारी और ब्लड प्रेशर की समस्या से भी बचाव होता है।
2. बार-बार बुरे सपने आने की स्थिति में जनेऊ धारण करने से इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
3. जनेऊ पहनने से याददाश्त तेज होती है, इसलिए कम उम्र में ही बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार कर दिया जाता है।
4. जनेऊ पहनने में मन में पवित्रता का अहसास होता है और व्यक्ति का मन बुरे कामों की ओर नहीं जाता।
 

Share this article
click me!