पद्म पुराण: इन 5 कामों से दूर रहकर परेशानियों और दुखों को टाला जा सकता है

पद्मपुराण हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है। जीवन में हमेशा सुख-शांति और खुशियां बनाए रखने के लिए पद्मपुराण में 5 ऐसे काम बताए गए हैं, जिनसे दूर रहना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : May 9, 2020 6:57 PM IST

उज्जैन. इन 5 से दूरी बनाए रखने से जीवन में आने वाली कई परेशानियों और दुखों को टाला जा सकता हैं। ये 5 काम इस प्रकार हैं-

श्लोक-
न कुर्याच्छुष्कवैराणि विवादं न च पैशुनम्।
न संवसेत्सूचकेन न कं वै मर्माणि स्पृशेत्।।

1. बिना कारण किसी से दुश्मनी न करें
कई लोगों को बात-बात पर गुस्सा करने और बिना कारण ही दूसरों से लड़ने की आदत होती है। जिसकी वजह से कई बार बिना किसी ठोस कारण के ही दूसरों से दुश्मनी हो जाती है। यह आदत कई दुःखों और परेशानियों का कारण बन सकती है, इसलिए हमेशा ध्यान रखें बिना कारण किसी से भी लड़ाई करना या दुश्मनी करना आपके लिए घातक हो सकता है।

2. विवादों से दूर रहें
कई बार हम अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के विवादों में इस तरह शामिल हो जाते है कि वह विवाद हमारा न होते हुए भी हमारा बन जाता है। ऐसे में खुद का कोई विवाद न होने पर भी आप दूसरों की नजर में उनके दुश्मन बन जाते हैं और कई परेशानियों के शिकार बन जाते हैं। इसलिए, कभी भी किसी अन्य व्यक्ति के विवाद में शामिल न हों, ऐसी बातों से हमेशा दूर ही रहें।

3. किसी के बारे में दूसरों से बुरा न कहें
दूसरों की बुराई करना, दूसरों को नीचा दिखाना कई लोगों की आदत होती है। आगे चलकर यही आदत बर्बादी का कारण बन जाती है। अन्य लोगों के सामने दूसरों को नीचा दिखाने के लिए अच्छे-बुरे में फर्क नहीं कर पाता और किसी भी हद तक जा सकता है। जिसकी वजह से खुद के लिए परेशानी के कारण खड़े कर लेता है। जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस आदत से दूर रहना चाहिए।

4. दूसरों की निंदा करने वाले के साथ न रहें
व्यक्ति के जीवन पर न की सिर्फ उसकी आदतें बल्कि उससे जुड़े सभी लोगों का व्यवहार और आदतें भी असर डालती हैं। किसी से भी दोस्ती करने से पहले उसकी आदतों और व्यवहार को अच्छी तरह से परख लेने में ही भलाई होती है। हमारी दोस्तों की बुरी आदत भी हमारे लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए कभी भी ऐसे किसी व्यक्ति की संगति न करें, जिसे दूसरों की बुराई या निंदा करने की आदत हो।

5. किसी को दुःख पहुंचाने वाली बात न करें
शब्द तीर की तरह होते है, एक बार मुंह से निकलने के बाद उन्हें वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए, हर किसी को अपनी बात बहुत ही सोच-समझ कर बोलनी चाहिए। अच्छी बातों से हम किसी के सबसे प्रिय बन सकते हैं और बुरे शब्दों से सबसे बड़े शत्रु। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपकी कही बात से किसी को भी ठेस या दुःख न पहुंचे। यही सुखी जीवन का राज है।

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