धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के अनेक नाम बताए गए हैं। उन सभी नामों का अलग-अलग महत्व है। एक स्तुति में बताया गया है कि मनुष्य को किन अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस नाम से स्मरण करना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है-
उज्जैन. एक स्तुति में बताया गया है कि मनुष्य को किन अवस्थाओं में भगवान विष्णु को किस नाम से स्मरण करना चाहिए, इसका उल्लेख किया गया है-
औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजपतिं
युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं
नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे
दु:स्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम्
कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम
जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम्
गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम्
षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत
सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते
अर्थात-
औषधि लेते समय- विष्णु
भोजन के समय- जनार्दन
शयन करते समय- पद्मनाभ
विवाह के समय- प्रजापति
युद्ध के समय- चक्रधर
यात्रा के समय- त्रिविक्रम
शरीर त्यागते समय- नारायण
पत्नी के साथ- श्रीधर
नींद में बुरे स्वप्न आते समय- गोविंद
संकट के समय- मधुसूदन
जंगल में संकट के समय- नृसिंह
अग्नि के संकट के समय- जलाशयी
जल में संकट के समय- वाराह
पहाड़ पर संकट के समय- घुनंदन
गमन करते समय- वामन
अन्य सभी शेष कार्य करते समय- माधव नाम से भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए
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