वो कौन-सा काम है जो हमेशा अकेले में ही करना चाहिए और कौन-सा काम 4 लोगों के साथ मिलकर?

आचार्य चाणक्य के बारे में अभी तक बहुत कुछ लिखा और पढ़ा गया है। ये भारत के महान विचारकों में से एक थे। उन्होंने ही खंड-खंड में बंटे हुए भारत वर्ष को एक सूत्र में पिरोया और अखंड भारत का सपना साकार किया।

Manish Meharele | Published : Jun 19, 2022 12:08 PM IST

उज्जैन. चंद्रगुप्त मौर्य जब तक राजा रहे, भारत की तरफ किसी दुश्मन ने देखने की हिम्मत भी नहीं की, ये सब आचार्य चाणक्य की नीतियों का ही कमाल था। आचार्य चाणक्य हर निर्णय बहुत ही सोच-समझकर लेते थे। उनके कई ग्रंथ आज भी हमें सही रास्ता दिखाते हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में ये भी बताया है कि कौन-सा काम कितने लोगों को मिलकर करना चाहिए या इस काम में कम से कम कितने लोग होने चाहिए, तभी उस काम में सफलता मिलने की संभावना बनी रहती है। आगे जानिए आचार्य चाण्कय की नीति के बारे में…

1. तपस्या अकेले में
आचार्य चाणक्य के अनुसार तपस्या हमेशा अकेले में ही करनी चाहिए। इसके पीछे का कारण है कि यदि एक से अधिक लोग तपस्या करने बैठेंगे तो एक-दूसरे की वजह से उसमें व्यवधान पैदा होग। इस कारण किसी की भी तपस्या पूरी नहीं हो पाएगी और इस तरह लक्ष्य की प्राप्ति भी संभव नहीं हो पाएगी। इसलिए तपस्या अकेले में ही करें।

2. पढ़ाई दो के साथ
आचार्य चाणक्य की मानें तो पढ़ाई सिर्फ 2 लोगों को साथ मिलकर करनी चाहिए। इससे ज्यादा लोगों के एक स्थान पर बैठकर पढाई करने से सभी का मन भटक सकता है और इस स्थिति में ठीक से पढ़ाई भी नहीं हो सकेगी। अगर 2 लोग साथ बैठकर पढ़ाई करें तो किसी एक को पढ़ाई के संबंध में कोई संशय हो तो वह दूसरे से पूछ सकता है।

3. मनोरंजन तीन के साथ
अगर आप किसी मनोरंजक कार्यक्रम में जा रहे हैं जो अधिकतम 3 लोग होना चाहिए, ऐसा आचार्य चाणक्य का मानना है। मनोरंजन में लोगों की संख्या 3 से अधिक हो सकती है लेकिन इससे मनोरंजन का आनंद पूरी तरह से नहीं मिल पाता।

4. यात्रा चार के साथ
आचार्य चाणक्य की मानें तो यात्रा हमेशा 4 लोगों के साथ करनी चाहिए। अकेले यात्रा करने में बहुत जोखिम हो सकता है। दो लोग भी किसी मुसीबत का सामना ठीक से नहीं कर पाते। इसलिए अगर यात्रा में कम से कम 4 लोग हो तो एक-दूसरे क सहारा मिल जाता है और यात्रा भी सुखमय हो जाती है।

5. खेती पांच के साथ
खेती करना अकेले इंसान के बस की बात नहीं है। खेती में बहुत से काम होते हैं, जो एक-दूसरे के सहयोग से ही हो सकते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य के अनुसार खेती कम से कम 5 लोगों को मिलकर करनी चाहिए। मिल-जुलकर खेती करने से किसी एक को थकान नहीं होती और आनंद भी आता है।

6. युद्ध बहुत से सहायकों के साथ
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कभी भी जोश में आकर किसी ये अकेले युद्ध यानी लड़ाई करने नहीं जाना चाहिए। क्योंकि युद्ध में आपके पक्ष में जितने लोग होंगे, आपके जीतने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि युद्ध पर जाते समय अधिक से अधिक सहायकों को साथ लेकर जाना चाहिए।


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