कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार भारतीय सभ्यता, संस्कृति का एक सर्व प्रमुख त्योहार है। दीपावली का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कथाएं व किवंदतियां प्रचलित हैं।
उज्जैन. कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार भारतीय सभ्यता, संस्कृति का एक सर्व प्रमुख त्योहार है। दीपावली का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कथाएं व किवंदतियां प्रचलित हैं। लेकिन इन सबके पीछे का सार एक ही है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस बार यह पर्व 14 नवंबर को है। दीपावली वास्तव में एक त्योहार नहीं है बल्कि यह त्योहारों का समूह है। दीपावली का पर्व 5 दिनों तक मनाया जाता है। सबसे पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस (इस बार 12 नवंबर) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। अगले दिन यमराज के निमित्त नरक चतुर्दशी 13 नवंबर का व्रत व पूजन किया जाता है। इसके दूसरे दिन दीपावली 14 नवंबर मनाई जाती है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा 15 नवंबर की जाती है। वहीं द्वितीया को भाई दूज 16 नवंबर का पर्व मनाया जाता है।
ये है दिवाली से जुड़ा लाइफ मैनेजमेंट
पुरातन काल से ही हिंदू धर्मावलंबी दीपावली का त्योहार हर्षोल्लास से मनाते आ रहे हैं। अमावस्या के गहन अंधकार के विरुद्ध नन्हें दीपकों के प्रकाश का संघर्ष रूपी संदेश देना ही इस त्योहार का मूल उद्देश्य है। यहां अंधकार का अर्थ मन के भीतर के नकारात्मक भावों से हैं वहीं दीपक उसी मन मे छिपे बैठे सकारात्मक भावों का प्रतीक है। दीपावली पर्व को अगर भारतीय संस्कृति की अस्मिता का प्रतीक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।