आजकल भले ही कान छिदवाना एक फैशन बन गया है, लेकिन प्राचीन समय में सभी लोगों के लिए अनिवार्य हुआ करता था।
उज्जैन. कर्णवेध 16 संस्करों में से एक है, क्योंकि इसके पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं। आयुर्वेद ने भी माना है कि कान छिदवाने से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। आगे जानिए कर्णवेध संस्कार से जुड़ी खास बातें…
कर्णवेध संस्कार से जुड़ी खास बातें...
-पहले के समय में शुभ मुहूर्त में बच्चों के कान में मंत्र बोलकर कर्णवेध संस्कार किया जाता था-
भद्रं कर्णेभि: श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवां सस्तनूभर्व्यशेमहि देवहितं यदायु:।।
यजुर्वेद 25/21
-मंत्र बोलने के बाद लड़कों के दाएं कान में पहले और बाएं कान में बाद छेद किया जाता था। लड़कियों के बाएं कान में पहले और दाएं कान में बाद में छेद कर सोने के आभूषण पहनाए जाते थे।
कान छिदवाने से होते हैं ये 5 फायदे
1. आयुर्वेद के अनुसार कान के निचले हिस्से (ear lobes) में एक प्वाइंट होता है, जब इस प्वाइंट पर छेद किये जाते हैं तो यह दिमाग के हिस्से को एक्टिव बनाते हैं।
2. एक्यूपंक्चर के अनुसार, कान के निचले हिस्से के आस-पास आंखों की नसें होती हैं। इसी बिंदु को दबाने पर आंखों की रोशनी में सुधार होता है।
3. एक्यूपंक्चर के अनुसार, जब कान छिदवाए जाते हैं तो, केंद्र बिंदु पर दबाव पड़ने की वजह से ओसीडी (किसी बात की जरुरत से ज्यादा चिंता करना), घबराहट और मानसिक बीमारी को दूर करने में मदद मिलती है।
4. इयर लोब्स के बीच में कई ऐसे प्रेशर प्वाइंट हैं, जो प्रजनन अंगों को स्वस्थ बनाने में मददगार साबित होते हैं। पुरुषों के अंडकोष और वीर्य के संरक्षण में भी कान छिदवाने से लाभ मिलता है।
5. लड़कियों के कान छिदवाने से उनका मासिक धर्म नियमित रहता है। कान छिदवाने से हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है।