ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन प्रभु यीशु पुनर्जीवित हो गए थे। इस दिन को ईसाई समुदाय ईस्टर संडे के रूप में मनाता है। इस बार ईस्टर संडे 12 अप्रैल को है।
उज्जैन. ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन प्रभु यीशु पुनर्जीवित हो गए थे। इस दिन को ईसाई समुदाय ईस्टर संडे के रूप में मनाता है। इस बार ईस्टर संडे 12 अप्रैल को है। ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार, ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है।
यूरोप में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। इस देवी की प्रशंसा में अप्रैल माह में उत्सव होते थे। जिसके कई अंश यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी पाए जाते हैं। इसलिए इसे नवजीवन या ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया गया।
ईश्वर के पुत्र थे जीसस
ईश्वर के पुत्र जीसस इस धरती पर लोगों को जीवन की शिक्षा देने के लिये आए थे। जीसस ने कहा था कि ईश्वर सभी लोगों से प्यार करते हैं तथा हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिये। ईस्टर संडे का त्योहार हमें यही पावन संदेश देता है। ईस्टर संडे के मौके पर जानिए यीशु के अनमोल
वचन-
1. कभी हत्या न करों, जो हिंसा करेगा सजा पाएगा। कभी गुस्सा न करो, जो गुस्सा करेगा सजा पाएगा।
2. कभी व्यभिचार न करना। यदि कोई किसी महिला पर कुदृष्टि डाले तो यह व्यभिचार है।
3. कभी शपथ मत खाओ। क्योंकि तू एक बाल को भी काला या सफेद नहीं कर सकता।
4. जो तुम्हारे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे उसकी ओर दूसरा गाल भी कर दो। हिंसा न करो।
5. कभी किसी पर दोष न लगाओ। तुम किसी पर दोष लगाओगे तो तुम पर भी दोष लगाया जाएगा।
6. गरीबों की सेवा करों। किसी से मुफ्त मत लो। अपने प्राण बचाने की जगह दूसरों के प्राण बचाओं।
7. सबसे श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढ़क देता है।