ईस्टर संडे 4 अप्रैल को, सूली पर चढ़ाए जाने के बाद इस दिन पुनर्जीवित हुए थे यीशु

इस बार 4 अप्रैल को ईस्टर संडे है। ईसाई मान्यताओं के अनुसार गुड फ्राइडे पर यीशु को यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया था। सूली पर चढ़ाए जाने के बाद संडे को प्रभु यीशु पुन: जीवित हो गए थे।

उज्जैन. इस बार 4 अप्रैल को ईस्टर संडे है। ईसाई मान्यताओं के अनुसार गुड फ्राइडे पर यीशु को यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया था। सूली पर चढ़ाए जाने के बाद संडे को प्रभु यीशु पुन: जीवित हो गए थे। यीशु के दोबारा जीवित होने की खुशी में ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को खुशियों के तौर पर मनाते हैं।

ईस्टर डे का महत्व 

गुड फ्राइडे पर प्रभु यीशु की मृत्यु के बाद रविवार को वे फिर से जीवित हो गए। तब से इस खुशी में ईस्टर संडे का पर्व मनाया जाता है। ईस्टर संडे पर दोबारा जीवित होने के बाद यीशु ने 40 दिनों तक अपने शिष्यों को सत्य के रास्ते पर चलने का संदेश दिया था। आइए जानते हैं ईसाई धर्म के इस सबसे बड़े त्योहार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां....

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- ईस्टर संडे को खजूर इतवार के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु यीशु के दोबारा जीवित होने को नव जीवन में बदलाव का प्रतीक माना जाता है।
- ईस्टर संडे के दिन बड़ी संख्या में ईसाई धर्म के लोग अपने परिवार संग चर्च में एकत्रित होते हैं और प्रार्थना में भाग लेते हैं।
- प्रभु यीशु के दोबारा जीवित होने को सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देखा था फिर अन्य महिलाओं को इसके बारे में बताया था। इसलिए सबसे पहले यह पर्व सुबह सवेरे महिलाओं के द्वारा आरंभ होता है।
- इस दिन सभी लोग गिरजाघरों में एकत्रित होकर पवित्र बाइबल पढ़ते हुए प्रभु यीशु के उपदेशों को याद किया जाता है।   
- ईस्टर संडे के दिन अंडों से सजावट की जाती है क्योंकि अंडे को बहुत ही शुभ माना जाता है। अंडे नया उत्साह और नई उंमग से भरने का संदेश देता है। इस दिन लोग एक दूसरों को अंडों को गिफ्ट के रूप में देते हैं।

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