15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में आते ही मल मास समाप्त हो चुका है। इसके पहले 11 जनवरी को गुरु तारा भी उदय हो चुका है। यानी अब विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट चुकी है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार बृहस्पति के अस्त होने से 3 दिन पहले वृद्धत्व दोष और उदय होने के 3 दिन बाद तक बाल्यत्व दोष रहता है। इसलिए नए साल में शादी का पहला मुहूर्त भी 16 जनवरी को है।
तीन दिन बाद तक बाल्यत्व दोष
11 जनवरी को 7:30 बजे पूर्व दिशा से गुरु का उदय हुआ है। इसके तीन दिन बाद तक बाल्यत्व दोष था। बाल्यत्व दोष के साथ धनु मलमास की भी समाप्ति हो गई है। 25 दिन तक अस्त रहने के बाद अब पूरे साल ये ग्रह अस्त नहीं होगा। 15 जनवरी से विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, कुआ पूजन, उपनयन संस्कार सहित शुभ कार्य शुरू हो चुके हैं।
बृहस्पति अस्त होने पर भी कर सकते हैं सात संस्कार
पं भट्ट के अनुसार इसका उल्लेख मुहुर्त मार्तण्ड ग्रंथ में है। इस ग्रंथ के अनुसार बृहस्पति के अस्त रहने पर गर्भाधान से लेकर अन्नप्राशन तक ये सात संस्कार किए जा सकते हैं। इन संस्कारों के करने पर गुरु अस्त होने का दोष नहीं लगता। लेकिन बृहस्पति अस्त होने के दौरान देव प्रतिष्ठा, मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञोपवित संस्कार, गृहारंभ करना और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते।
मिलेगा बृहस्पति का शुभ फल
5 नवंबर से बृहस्पति स्वयं की राशि धनु में है। इसके बाद 17 दिसंबर को सूर्य से 11 अंश और उससे पास आ जाने पर ये ग्रह अस्त हो गया था, जिसके चलते इसके शुभ प्रभाव में कमी आ गई थी। लेकिन अब बृहस्पति का उदय हो जाने से मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि वालों को इसका शुभ फल मिलने लगेगा।