Gadge Maharaj Punyatithi 2022: कौन थे संत गाडगे जी महाराज? जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

Published : Dec 20, 2022, 07:59 AM IST
Gadge Maharaj Punyatithi 2022: कौन थे संत गाडगे जी महाराज? जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें

सार

Gadge Maharaj Punyatithi 2022: हमारे देश में कई महान संत हुए हैं, जिन्होंने समाज को एक नई दिशा दी है। संत गाडगे भी इनमें से एक है। ये महाराष्ट्र के प्रमुख संतों में से एक थे। इनकी पुण्यतिथि 20 दिसंबर को प्रतिवर्ष मनाई जाती है।  

उज्जैन. आज (20 दिसंबर, मंगलवार) महाराष्ट्र के महान संत, विचारक और समाज सेवक संत गाडगे जी महाराज की पुण्यतिथि है। (Gadge Maharaj Punyatithi 2022) महाराष्ट्र के लोग आज भी इनकी दी गई शिक्षाओं का पालन करते हैं। इन्होंने शिक्षा, स्वच्छा और समाज में समरसता लाने में अहम योगदान दिया और लोगों को इनका महत्व बताया ताकि लोगों का जीवन स्तर सुधरें और वे समाज की नई धारा के साथ जुड़ सकें। संत गाडगे जी महाराज की पुण्य तिथि पर जानें इनके बारे में कुछ खास बातें…

महाराष्ट्र में यहां हुआ था उनका जन्म
प्राप्त जानकारी के अनुसार, संत गाडगे जी महाराज का वास्तविक नाम देबूजी झिंगराजी जानोरकर था। उनका जन्म 23 फरवरी 1876 को महाराष्ट्र के अंजनगांव (अमरावती) के सुरजी तालुका के शेडगाओ ग्राम में हुआ था। बचपन में जब उन्होंने सामाज में फैली कुरितियों को देखा तो उसे मिटाने के लिए प्रयास करने लगे। उस समय उन्होंने जानवरों की बलि देने की सदियों पुरानी प्रथा को बंद करना और शराब के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया।

जरूरतमंदों की करते थे मदद
गाडगे जी महाराज के पास वैसे तो कमाई का को साधन नहीं था, लेकिन लोग उन्हें जो पैसा दान स्वरूप देते थे, उन्हें वे समाज की भलाई में लगा देते थे। इस पैसे को वे शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, पशु आश्रय आदि के निर्माण के लिए दे देते थे। संत गाडगे जी महाराज हमेशा लोगों को परिश्रम के लिए प्रेरित करते थे और परोपकार की भावना का पाठ पढ़ाते थे। उनका कहना था कि समाज के हर जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता हमें करनी चाहिए।

अंधविश्वास एवं रूढ़िवाद के विरोधी
संत गाडगे जी महाराज समाज में फैले अंधविश्वास और रुढिवादिता का घोर विरोधी थे। अंधविश्वास और रुढिवादि मानसिकता को दूर करने के लिए वे गांव-गांव जाकर भजन-कीर्तन आदि का आयोजन करते थे। इसी सहज माध्यम से वे लोगों को प्रेरित करते थे। महाराज को अनेक चित्रों में सिर पर उल्टी कड़ाही एवं झाड़ू लेकर दिखाया जाता है, इसका कारण है कि वे जिस भी गांव में जाते, सबसे पहले वहां की गंदी गलियों की सफाई शुरू कर देते हैं।


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