Ganesh Chaturthi: गणपति को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा, क्यों लगाते हैं मोदक का भोग?

इस बार 2 सितंबर, सोमवार को गणेश चतुर्थी है। भगवान श्रीगणेश के जन्म की कथा जितनी रोचक है, उनके शरीर की बनावट भी उतनी ही रहस्यमयी है।

उज्जैन. श्रीगणेश से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो बच्चों के लिए जिज्ञासा का विषय है जैसे- श्रीगणेश को दूर्वा क्यों चढ़ाते हैं या श्रीगणेश को मोदक का भोग क्यों लगाया जाता है? इन बातों में भी लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र छिपे हैं, जो आज हम आपको बता रहे हैं...

1. श्रीगणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा?
दूर्वा जिसे आम भाषा में दूब भी कहते हैं, एक प्रकार ही घास है। इसकी विशेषता है कि इसकी जड़ें जमीन में बहुत गहरे उतर जाती हैं। विपरीत परिस्थिति में यह अपना अस्तित्व बखूबी बचाए रखती हैं। इसलिए दूर्वा गहनता और पवित्रता की प्रतीक है। दूर्वा को शीतल और राहत पहुंचाने वाला माना जाता है। दूर्वा के कोमल अंकुरों के रस में जीवनदायिनी शक्ति होती है। सूर्याेदय से पहले दूब पर जमी ओंस की बूंदों पर नंगे पैर घूमने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

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2. श्रीगणेश को क्यों चढ़ाते हैं मोदक?
मोदक यानी जो मोद (आनन्द) देता है, जिससे आनन्द प्राप्त हो, संतोष हो, इसका गहरा अर्थ यह है कि तन का आहार हो या मन के विचार वह सात्विक और शुद्ध होना जरुरी है। तभी आप जीवन का वास्तविक आनंद पा सकते हैं। मोदक ज्ञान का प्रतीक है। जैसे मोदक को थोड़ा-थोड़ा और धीरे-धीरे खाने पर उसका स्वाद और मिठास अधिक आनंद देती है और अंत में मोदक खत्म होने पर आप तृप्त हो जाते हैं, उसी तरह ऊपरी और बाहरी ज्ञान व्यक्ति को आनंद नही देता परंतु ज्ञान की गहराई में सुख और सफलता की मिठास छुपी होती है।

3. श्रीगणेश का वाहन चूहा क्यों है?
चूहे की प्रवृत्ति होती है कुतरने की। अत: इसे कुतर्क का प्रतीक माना जाता है। गणेश बुद्धि के देवता हैं। संदेश है कि बुद्धि के विकास के लिए कुतर्क को काबू में रखना चाहिए। कुतर्कों से व्यक्ति भ्रमित हो जाता है। जीवन में वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है। जिस तरह चूहा कुतर-कुतर कर उपयोगी वस्तुओं को बेकार कर देता है वैसे ही कुतर्कों से विवेक नष्ट हो सकता है। ऐसे कुतर्कों पर सवार होने का तात्पर्य है कुतर्कों पर काबू करना।

4. श्रीगणेश का एक दांत टूटा हुआ क्यों है?
श्री गणेश के दो दांत हैं एक पूर्ण व दूसरा अपूर्ण। पूर्ण दांत श्रद्धा का प्रतीक है तथा टूटा हुआ दांत बुद्धि का। वह मनुष्य को यह प्रेरणा देते हैं कि जीवन में बुद्धि कम होगी तो चलेगा, लेकिन ईश्वर के प्रति पूरा विश्वास रखना चाहिए।

5. श्रीगणेश का पेट बड़ा क्यों है?
भगवान गणेश का बड़ा पेट यह बताता है कि पेट गागर की तरह छोटा नहीं बल्कि सागर की तरह विशाल होना चाहिए, जिसमें अच्छी-बुरी सभी बातों को शामिल करने की शक्ति हो।

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