आज (12 नवंबर, शुक्रवार) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गोपाष्टमी (Gopashtami 2021) का पर्व मनाया जाता है। ये भगवान कृष्ण और गोपियों से जुड़ा त्योहार है। जो मथुरा, वृंदावन ब्रज और अन्य जगहों पर खासतौर से मनाया जाता है। इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी ये पर्व मनाए जाने की परंपरा है।
उज्जैन. मान्यता है कार्तिक महीने की प्रतिपदा तिथि को श्रीकृष्ण ने ब्रज वालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसके बाद आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि (Gopashtami 2021) को इंद्र ने श्रीकृष्ण से माफी मांगी थी और कामधेनु ने अपने दूध से भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया था। इसलिए गोपाष्टमी पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है। उनकी पूजा होती है। ये उत्सव हमें याद दिलाता है कि गौधन हमारे लिए कितना उपयोगी है और ये पर्व हमें प्रकृति से भी जोड़ता है।
क्या है इस पर्व से जुड़ी मान्यता?
एक कथा के मुताबिक इस दिन से ही श्रीकृष्ण ने गाय चरानी शुरू की थी। माता यशोदा प्रेम के कारण श्रीकृष्ण कभी गाय चराने नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कृष्ण ने गाय चराने की जिद की। तब मां यशोदा जी ऋषि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने भेजा। पुराणों में बताया गया है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए गाय की पूजा से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
भविष्य पुराण में गाय महिमा
भविष्य पुराण के अनुसार गाय को माता यानी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। गौमाता के पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं।
ये हैं गोपाष्टमी की परंपराएं
- गाय और बछड़े को सुबह नहलाकर तैयार किया जाता है। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं, अन्य आभूषण पहनाएं जाते हैं।
- गौ माता के सींगो पर चुनड़ी का पट्टा बाधा जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करके गाय के चरण स्पर्श किए जाते हैं।
- गाय की परिक्रमा की जाती हैं। इसके बाद उन्हें चराने बाहर ले जाते है। इस दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता हैं। कई लोग ग्वालों को नए कपड़े देकर तिलक लगाते हैं।
- शाम को जब गाय घर लौटती है, तब फिर उनकी पूजा की जाती है, उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता हैं।
- जिनके घरों में गाय नहीं होती है वे लोग गौ शाला जाकर गाय की पूजा करते है, उन्हें गंगा जल, फूल चढाते है, दीपक लगाकर गुड़ खिलाते है। गौशाला में भोजन और अन्य समान का दान भी करते है।
- औरतें कृष्ण जी की भी पूजा करती है, गाय को तिलक लगाती है। इस दिन भजन किये जाते हैं। कृष्ण पूजा भी की जाती हैं।
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