माघ मास के शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इन नौ दिनों में तंत्र-मंत्र से देवी मां को प्रसन्न किया जाता है।
उज्जैन. इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू होगी, जो 3 फरवरी तक रहेगी। गुप्त नवरात्रि का पारायण 4 फरवरी को होगा।
दस महाविद्याओं की पूजा
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, देवी भागवत के अनुसार जिस प्रकार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा करते हैं।
साल में 4 नवरात्र
देवी पुराण के अनुसार एक साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है। पहली चैत्र नवरात्रि साल के पहले माह में आती है तो दूसरी साल के चौथे माह यानी आषाढ़ में आती है। वहीं तीसरा नवरात्रि अश्विन मास में और ग्यारहवें महीने यानी माघ में चौथी बार नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। इन चारों नवरात्रों में आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। जबकि दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इनके अलावा अन्य 2 नवरात्रि को गुप्त माना जाता है। इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
तंत्र साधना के लिए खास ये है नवरात्रि
एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल चार नवरात्रि होती है। इन चार नवरात्रि में दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। चैत्र और आश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक इन 9 दिनों को प्रत्यक्ष नवरात्रि माना जाता है। इनका विशेष महत्व है। वहीं आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि की श्रेणी में रखे गए हैं। ये नवरात्रि गुप्त तंत्र साधकों और संन्यासियों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।