आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के तिरुपति-तिरुमला (TIRUPATI TIRUMALA) में आंजनेद्री पहाड़ी पर माघ पूर्णिमा के अवसर पर हनुमान (HANUMAN) जन्म स्थान मंदिर के शिलान्यास हुआ। आंजनेद्री पर्वत तिरुमाला की सात पहाड़ियों में से खास आकाशगंगा नामक स्थान के करीब है।
उज्जैन. आंध्रप्रदेश में स्थित आंजनेद्री पहाड़ी पर हनुमान जी की 30 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित होगी। इसके अलावा माता अंजनी का मंदिर मुख्य मंडप और गोपुरम बनेगा। भद्राचलम में बनाए गए यदाद्रि मंदिर के वास्तुकार व मशहूर कला निर्देशक आनंद साईं को अंजनी मंदिर व गोपुरम के डिजाइन का काम सौंपा गया है, तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट के ट्रस्टी नारायण नागेश्वर राव और मुरली कृष्ण मंदिर का पूरा खर्च उठाएंगे।
इन स्थानों को भी माना जाता है हनुमानजी का जन्म स्थान
टीटीडी द्वारा नेशनल संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति मुरलीधर शर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई पंडित परिषद ने हनुमान जन्म स्थान के संबंध में एक रिपोर्ट बनाई है, जिसमें अनेक पौराणिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक स्रोतों का हवाला देकर आंजनेद्री पहाड़ी को हनुमान जन्म स्थान सिद्ध किया गया। टीटीडी के इस रिपोर्ट के आधार बनाते हुए पिछले वर्ष रामनवमी पर आंजनेद्री पहाड़ को हनुमान जन्म स्थान घोषित किया था, जबकि पांच अन्य स्थानों में कर्नाटक के हंपी के पास आंजनेद्री, झारखंड के गुमला के 21 किलोमीटर दूर अंजन गांव, गुजरात के नवसारी में अंजन पहाड़ी, हरियाणा के कैथल और महाराष्ट्र के नासिक में त्रंयबकेश्वर से 7 किलोमीटर दूर के बारे में हनुमान जन्म स्थान का दावा किया जाता है।
इन पुराणों से सिद्ध हुआ हनुमान जन्म स्थान
- पंडित परिषद के रिपोर्ट के मुताबिक वाल्मीकि रामायण में सुंदरकांड में 35वें सर्ग के 81-83वंं श्लोक तक स्पष्ट रूप से लिखा है कि माता अंजनी ने इसी पहाड़ी पर हनुमानजी को जन्म दिया। इसीलिए हनुमान आंजनेय और ये पहाड़ी आंजनेद्री कहलाई।
- 1491 और 1545 के श्रीवारी मंदिर के पत्थर के शिलालेखों में उल्लेख है कि आंजनेद्री पहाड़ी ही हनुमानजी का जन्म स्थान है। इसके अलावा व्यास महाभारत के वन पर्व में 147वें अध्याय, वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा कांड के 66वें सर्ग, शिव पुराण, शत पुराण संहिता के 20वें अध्याय, ब्रह्मांड पुराण श्री वंकटाचल महात्म्य के पहले अध्याय, स्कंद पुराण के खंड एक-38 में इसका उल्लेख मिलता है।
- पंडित परिषद की रिपोर्ट में हंपी के बारे में कहा गया है कि यह स्थान पुराण व प्राचीन साहित्य में किष्किंधा के रूप में लोकप्रिय है। संभव है हनुमानजी यहीं (तिरुमाला) से हंपी (किष्किंधा) गए हों, जो यहां से 363 किमी दूर है।
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