Annapurna Jayanti 2021: 19 दिसंबर को करें देवी अन्नपूर्णा की पूजा, जानिए महत्व व कथा

Published : Dec 19, 2021, 07:30 AM IST
Annapurna Jayanti 2021: 19 दिसंबर को करें देवी अन्नपूर्णा की पूजा, जानिए महत्व व कथा

सार

हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इन्हीं में से एक है देवी अन्नपूर्णा। मां अन्नपूर्णा को संसार का भरण पोषण करने वाली शक्ति माना जाता है। अन्नपूर्णा जयंती को मां अन्नपूर्णा के प्राक्ट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उज्जैन. जिस घर में मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद रहता है, वहां किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता है। लगभग सभी घरों के रसोई घर में देवी अन्नपूर्णा की तस्वीर जरूर होती है। कहा जाता है इनकी कृपा से घर में बरकत बनी रहती है। जिससे घर में कभी खाने की चीजों की कमी नहीं आती। अगहन महीने की पूर्णिमा पर इनकी पूजा करने का विधान बताया गया है। ये तिथि इस बार 19 दिसंबर, रविवार को है। इस दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। 

मां पार्वती का रूप में अन्नपूर्णा
अन्नपूर्णा यानी "धान्य'' (अन्न) की अधिष्ठात्री देवी। मां अन्नपूर्णा भी आदिशक्ति मां पार्वती का ही रूप हैं। इन्हें अन्नदा व शाकुम्भरी भी कहते हैं। मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति के लिए उनकी सच्चे मन से आराधना करें। मां अन्नपूर्णा का कृपा से अन्न के भंडार भरे रहते हैं। इसलिए अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा का अशीर्वाद पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहता है। इस दिन प्रातः उठकर मां अन्नपूर्णा की पूजन करना चाहिए। 

देवी अन्नपूर्णा की पूजन विधि
अन्नपूर्णा जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें। इसके साथ ही माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें। माता पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं। विधिवत् पूजा करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें मां अन्नपूर्णा हमपर और पूरे परिवार एवं समस्त प्राणियों पर अपनी कृपा बनाए रखें। इस दिन अन्न का दान करें जरूरतमंदो को भोजन करवाएं।

प्रचलित कथा
इस कथा के अनुसार एक बार काशी में अकाल पड़ा था और लोग भूख से व्याकुल थे। तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ-साथ भगवान शिव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। यह भी कहा जाता है कि काशी में आने वाले हर किसी को मां के ही आशीर्वाद से अन्न प्राप्त होता है।

 

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