14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, देश में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है ये उत्सव

14 जनवरी, शुक्रवार को सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करेगा। इसी दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व मनाया जाएगा। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 3, 2022 1:47 PM IST / Updated: Jan 10 2022, 07:47 PM IST

उज्जैन. मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न परंपराओं और नाम के साथ मनाया जाता है। ज्योतिष के साथ-साथ इस पर्व का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। इस दिन से सूर्य उत्तरी ध्रुव की ओर बढ़ने लगता है। इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगता हैं। आगे जानिए मकर संक्रांति से जुड़ी खास बातें…

मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है। तो वहीं यूपी में इस दिन माघ मेले का आयोजन होता है। लोग इस दिन संगम नगरी या काशी में भारी संख्या में स्नान करते हैं तो वहीं बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र दान करने का रिवाज है। इस दिन लोग घरों में खिचड़ी बनाकर भी खाते हैं और घरों में तिल और गुड़ के पकवान भी बनते हैं।

उत्तरायण के बाद भीष्म पितामह ने छोड़ा था शरीर
महाभारत के अनुसार, अर्जुन ने जब युद्ध के दौरान भीष्म पितामाह को घायल कर दिया। तब उन्होंने शरीर का त्याग नहीं किया। भीष्म पितामाह ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही शरीर का त्याग किया था। क्योंकि उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिसकी मृत्यु उत्तरायण में होती है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषिय महत्व की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर यानी कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं और चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

दान का विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद लोग जरुरतमंदों को दान देते हैं। साथ ही इस दिन मंत्र जाप, पूजा व धार्मिक कर्मकांड का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस संबंध में ये श्लोक प्रचलित हैं-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम। 
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥


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