पत्नी को किस प्रकार अपने पति और परिवार का ध्यान रखना चाहिए, बताया गया है शिवपुराण में

Published : Jul 20, 2020, 12:02 PM IST
पत्नी को किस प्रकार अपने पति और परिवार का ध्यान रखना चाहिए, बताया गया है शिवपुराण में

सार

भगवान शिव की महिमा का वर्णन अनेक ग्रंथों में किया गया है, लेकिन शिवपुराण उन सभी ग्रंथों में सर्वोच्च है।

उज्जैन. शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव-पार्वती के विवाह प्रसंग में पतिव्रता स्त्रियों के लिए कई जरूरी नियम बताए हैं। ये नियम देवी पार्वती को एक पतिव्रता ब्राह्मण पत्नी ने विदाई के समय बताए थे। व्यवहारिक दृष्टि से वर्तमान समय में इन नियमों का पालन करना बहुत ही कठिन है। ये नियम इस प्रकार हैं-

1- पति बूढ़ा या रोगी हो गया हो तो भी पतिव्रता स्त्री को अपने पति का साथ नहीं छोडऩा चाहिए। जीवन के हर सुख-दु:ख में पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए। अपने पति की गुप्त बात किसी को नहीं बताना चाहिए।
2- पति के बुलाने पर तुरंत उसके पास जाना चाहिए और पति जो आदेश दे, उसका प्रसन्नतापूर्वक पालन करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री को घर के दरवाजे पर अधिक देर तक नहीं खड़ा रहना चाहिए।
3- पतिव्रता स्त्री को अपने पति की आज्ञा के बिना कहीं नहीं जाना चाहिए। पति के बिना मेले, उत्सव आदि में भी नहीं जाना चाहिए। पति की आज्ञा के बिना व्रत-उपवास भी नहीं करना चाहिए।
4- पतिव्रता स्त्री को प्रसन्नतापूर्वक घर के सभी कार्य करना चाहिए। अधिक खर्च किए बिना ही परिवार का पालन-पोषण ठीक से करना चाहिए। देवता, पितर, अतिथि, सेवक, गाय व भिक्षुक के लिए अन्न का भाग दिए बिना स्वयं भोजन नहीं करना चाहिए।
5- धर्म में तत्पर रहने वाली स्त्री को अपने पति के भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करना चाहिए। पति के सोने के बाद सोना चाहिए और जागने से पहले जाग जाना चाहिए।
6- पतिव्रता स्त्री को ऐसा काम करना चाहिए, जिससे पति का मन प्रसन्न रहे। ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे कि पति के मन में विषाद उत्पन्न हो।
7- पति की आयु बढऩे की अभिलाषा रखने वाली स्त्री को हल्दी, रोली, सिंदूर, काजल, मांगलिक आभूषण, केशों को संवारना, हाथ-कान के आभूषण, इन सबको अपने से दूर नहीं करना चाहिए यानी पति की प्रसन्नता के लिए सज-संवरकर रहना चाहिए।
8- यदि घर में किसी वस्तु की आवश्यकता आ पड़े तो अचानक ये बात नहीं कहनी चाहिए बल्कि पहले अपने मधुर वचनों से उसे पति को प्रसन्न करना चाहिए, उसके बाद ही उस वस्तु के बारे में बताना चाहिए।
9- जो स्त्री अपने पति को बाहर से आते देख अन्न, जल आदि से उसकी सेवा करती है, मीठे वचन बोलती है, वह तीनों लोकों को संतुष्ट कर देती है।
10- पतिव्रता स्त्री के पुण्य पिता, माता और पति के कुलों की तीन-तीन पीढिय़ों के लोग स्वर्गलोक में सुख भोगते हैं।
11- पति से द्वेष रखने वाली स्त्री का कभी आदर नहीं करना चाहिए। कभी अकेले नहीं खड़ा रहना चाहिए।
 

PREV

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें