कैसे शुरू हुई मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व?

हमारे देश में अनेक पर्व मनाए जाते हैं। इन सभी पर्वों से जुड़ी कई परंपराएं भी हैं। इन सभी परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक पक्ष अवश्य होता है। ऐसा ही एक त्योहार है मकर संक्रांति। इस पर्व में पतंग उड़ाने की परंपरा है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 12, 2021 4:16 AM IST

उज्जैन. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा के पीछे कोई भी कारण नहीं दिखाई देता, लेकिन इस परंपरा से जुड़े कई औषधीय लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं…

इसलिए उड़ाते हैं मकर संक्रांति पर पतंग

- मकर संक्रांति और पतंग एक-दूसरे के पर्याय हैं। पतंग के बिना मकर संक्रांति पर्व के बारे में सोच भी नहीं जा सकता। भारत के अधिकांश हिस्सों में इस दिन पतंगबाजी की जाती है, खासतौर पर गुजरात में।
- इसके अलावा मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में भी मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं अपितु वैज्ञानिक पक्ष अवश्य है।
- सर्दी के कारण हमारे शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है और त्वचा भी रुखी हो जाती है। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है, इस कारण इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं।
- पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है, जिससे सर्दी से जुड़ी शारीरिक समस्याओं से निजात मिलती है व त्वचा को विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
- इस मौसम में विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है, जिससे हमें जीवनदायिनी शक्ति मिलती है।
- यही कारण है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरूआत हुई।

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