ब्रह्मा से वरदान मांगते समय रावण ये 1 गलती न करता तो उसे कोई नहीं मार सकता था

इस बार 25 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व है। भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में अत्याचारी रावण का अंत किया था। रावण को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था जिसकी वजह से उसने एक ऐसी भूल की जो उसके सर्वनाश का कारण बनी। विजयादशमी के मौके पर हम आपको रावण की उसी गलती के बारे में बता रहे हैं-

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण महाज्ञानी, महान शिवभक्त और पराक्रमी था। लेकिन उसे अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। इसी घमंड में रावण ने एक ऐसी भूल की, जिसके कारण उसका सर्वनाश हो गया। विजयादशमी के मौके पर हम आपको रावण की उसी गलती के बारे में बता रहे हैं-

रावण की ये गलती बनी उसके सर्वनाश का कारण
- रावण विश्वविजेता बनना चाहता था, लेकिन उसे पता था कि बिना वरदान के ये संभव नहीं है। इसलिए उसने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करनी शुरू की।
- रावण के तप से जब ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उन्होंने उसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब रावण ने ब्रह्माजी से कहा- हम काहू के मरहिं न मारैं। यानी मेरी मृत्यु किसी के हाथों न हो।
- रावण की बात सुनकर ब्रह्माजी ने कहा कि मृत्यु तो तय है। तब रावण ने कहा कि- हम काहू के मरहिं न मारैं। बानर, मनुज जाति दोई बारै। यानी वानर और मनुष्य के अलावा और कोई मुझे न मार सके।
- ब्रह्माजी ने रावण को ये वरदान दे दिया। रावण ने समझा कि देवता भी मुझसे डरते हैं तो मनुष्य और वानर तो तुच्छ प्राणी हैं। ये तो मेरे लिए भोजन के समान हैं।
- वानर और मनुष्य को तुच्छ समझकर रावण ने अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की। यही भूल उसके अंत का कारण बनी। रावण अगर ये गलती न करता तो शायद श्रीराम भी उसे न मार पाते।

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