Ramayan: कौन चलाता है सूर्यदेव का रथ, पक्षियों के राजा गरुड़ और उनके बीच क्या संबंध है?

interesting things of hindu scriptures: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर देवता के पास अपना एक खास वाहन है। जैसे महादेव का वाहन नंदी है, माता का वाहन शेर है और श्रीगणेश का वाहन मूषक यानी चूहा है। उसी तरह सूर्यदेव का वाहन सात घोड़ों वाला रथ है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 23, 2022 10:38 AM IST

उज्जैन. पुराणों के अनुसार, भगवान सूर्यदेव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो पंचदेवों में शामिल हैं और ग्रहों में भी। इन्हें ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। सूर्यदेव के प्रभाव से ही जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा रहता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्यदेव अपने साथ घोड़ों के रथ पर सवार होकर निरंतर चलते रहते हैं। उनका रथ एक क्षण के लिए भी नहीं ठहरता। लेकिन इस रथ को चलाता कौन हैं, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं? आज हम आपको सूर्यदेव का रथ चलाने वाले सारथी के बारे में बता रहे हैं…

अरुण हैं सूर्यदेव के रथ के सारथी
महाभारत (Mahabharat) के अनुसार, सूर्यदेव का रथ चलाने वाले सारथी का नाम अरुण हैं। ये भगवान विष्णु के वाहन गरुड़देव के भाई हैं। ये महर्षि कश्यप और विनिता की संतान हैं। कथाओं के अनुसार, विनिता ने अपने पति महर्षि कश्यप की सेवा कर दो महापराक्रमी पुत्रों का वरदान मांगा। महर्षि कश्यप ने उन्हें ये वरदान दे दिया। समय आने पर विनिता ने दो अंडे दिए। महर्षि कश्यप ने विनिता से कहा कि “इन अंडों से तुम्हें दो पराक्रमी पुत्रों की प्राप्ति होगी।”

अरुण ने क्यों दिया अपनी माता विनिता को श्राप?
काफी समय बाद भी जब उन अंडों से बच्चे नहीं निकले तो उत्सुकतावश विनिता ने एक अंडे को समय से पहले ही फोड़ दिया। उस अंडे से अरुण निकले, लेकिन समय से पहले अंडा फोड़ने के कारण उनके पैर नहीं थे। क्रोधित होकर उन्होंने अपनी माता को सौतन की दासी बनने का श्राप दिया। इसके बाद अरुण ने घोर तपस्या की और भगवान सूर्यदेव के रथ के सारथी बन गए।  

अरुण और विष्णुजी के वाहन गरुड़ में क्या संबंध है?
महाभारत के अनुसार, विनिता के दूसरे अंडे से महापराक्रमी गरुड़ का जन्म हुआ। इस तरह अरुण और गरुड़ एक ही माता-पिता की संतान हैं यानी भाई हैं। अरुण के श्राप के कारण जब उनकी माता अपनी सौतान कद्रूी की दासी बनी तो गरुड़ ने उन्हें दासत्व से मुक्त करवाया। उनके पराक्रम को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें अपना वाहन बनाया।

अरुण की ही संतान थे संपाति और जटायु
रामायण (Ramayan) में दो गिद्ध पक्षियों का भी वर्णन हैं, इनका नाम जटायु और संपाति है। ये दोनों अरुण की ही संतान बताए गए हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अरुण की पत्नी का नाम श्येनी है। अरुण और श्येनी के दो पुत्र हुए- संपाति और जटायु। जब रावण देवी सीता का हरण कर ले जा रहा था, उस समय जटायु ने उसे रोकने का प्रयास किया, युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। वहीं संपाति ने ही वानरों को ये बताया था कि राक्षसराज रावण देवी सीता का हरण कर लंका नगरी में ले गया है।


ये भी पढ़ें-

Vivah Panchami 2022: कब है विवाह पंचमी? जानें सही डेट, पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और आरती

महाभारत का फेमस कैरेक्टर था ये ’ट्रांसजेंडर’, श्राप-वरदान और बदले से जुड़ी है इनकी रोचक कहानी

Shani Mithun Rashifal 2023: खत्म होगी शनि की ढय्या, क्या साल 2023 में चमकेगी इस राशि वालों की किस्मत?



Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। 
 

Share this article
click me!