दुनिया के अलग-अलग देशों व धर्मों में नया साल अलग-अलग दिन मनाया जाता है। किसी देश या धर्म में नाच-गाकर नए साल का स्वागत किया जाता है तो कहीं पूजा-पाठ व ईश्वर की आराधन कर।
उज्जैन. नए साल से जुड़ी अनेक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। नववर्ष के स्वगात का तरीका जो भी हो लेकिन मन में भावना एक ही रहती है कि आने वाला साल जीवन में खुशियां लेकर आए। भारत में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोग अलग-अलग समय पर नया साल मनाते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि किस धर्म में नया साल कब मनाया जाता है।
जैन नववर्ष
जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन शुरू होता है। मान्यता के अनुसार, भगवान महावीर स्वामी को दीपावली के दिन ही मोक्ष प्राप्ति हुई थी। इसके अगले दिन ही जैन धर्म के अनुयायी नया साल मनाते हैं। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। गुजरात में भी नए साल का आरंभ दीपावली के दूसरे दिन से ही माना जाता है। व्यापारी भी इसी दिन से नए साल की शुरुआत मानते हैं।
हिंदू नववर्ष
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल का आरंभ भी होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है।
ईसाई नववर्ष
ईसाई समाज 1 जनवरी को नववर्ष मनाता है। करीब 4000 वर्ष पहले बेबीलोन में नया वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता था, जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। तब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नववर्ष है।
इस्लामी नववर्ष
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम समाज का नया साल हिजरी शुरू होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर चंद्र आधारित है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है, बल्कि दुनियाभर के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं।
सिंधी नववर्ष
सिंधी नववर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरू होता है, जो चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुण देव के अवतार थे।
सिक्ख नववर्ष
पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।
पारसी नववर्ष
पारसी धर्म का नया साल नवरोज के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानी दिन।