जन्माष्टमी: जब श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को हराकर दिया नदियों को प्रदूषण से मुक्ति का संदेश

वास्तव में कालिया नाग प्रदूषण का प्रतीक है। हमारे देश की अधिकतर नदियां अभी भी प्रदूषण के जहर से आहत हैं। भगवान कृष्ण इस कथा के जरिए ये संदेश दे रहे हैं कि नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 8, 2020 2:26 AM IST

उज्जैन. एक बार श्रीकृष्ण मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद से खेल रहे थे। भगवान ने जोर से गेंद फेंकी और वो यमुना में जा गिरी। भारी होने से वो सीधे यमुना के तल पर चली गई। मित्रों ने कृष्ण को कोसना शुरू किया। कहने लगे कि तुमने गेंद को यमुना में फेंका है, तुम ही बाहर लेकर आओ। समस्या यह थी कि उस समय यमुना में कालिया नाग रहता था। पांच फनों वाला नाग बहुत खतरनाक और विषधर था। उसके विष से यमुना काली हो रही थी और उसी जहर के कारण गोकुल के पशु यमुना का पानी पीकर मर रहे थे। कालिया नाग गरूड़ के डर से यमुना में छिपा था।
कान्हा बहुत छोटे थे, लेकिन मित्रों के जोर के कारण उन्होंने तय किया कि गेंद वो ही निकाल कर लाएंगे। कान्हा ने यमुना में छलांग लगा दी। सीधे तल में पहुंच गए। वहां कालिया नाग अपनी पत्नियों के साथ रह रहा था। कान्हा ने उसे यमुना छोड़कर सागर में जाने के लिए कहा, लेकिन वो नहीं माना और अपने विष से उन पर प्रहार करने लगा। कृष्ण ने कालिया नाग की पूंछ पकड़कर उसे मारना शुरू कर दिया। बहुत देर हो गई तो मित्रों को चिंता होने लगी। उन्हें गलती का एहसास हुआ और वे रोने-चिल्लाने लगे। कुछ दौड़ कर नंद-यशोदा और अन्य गोकुलवासियों को बुला लाए। यमुना के किनारे सभी चिल्लाने लगे।
यशोदा सहित सभी औरतें रोने लगीं। इधर, कृष्ण और कालिया नाग का युद्ध जारी था। भगवान ने उसके फन पर चढ़कर उसका सारा विष निकाल दिया। विषहीन होने और थक जाने पर कालिया नाग ने भगवान से हार मानकर उनसे माफी मांगी। श्रीकृष्ण ने उसे पत्नियों सहित सागर में जाने का आदेश दिया। खुद कालिया नाग भगवान को अपने फन पर सवार करके यमुना के तल से ऊपर लेकर आया। गोकुलवासियों को शांति मिली। कालिया नाग चला गया। यमुना को उसके विष से मुक्ति मिल गई।

लाइफ मैनेजमेंट
वास्तव में कालिया नाग प्रदूषण का प्रतीक है। हमारे देश की अधिकतर नदियां अभी भी प्रदूषण के जहर से आहत हैं। भगवान कृष्ण इस कथा के जरिए ये संदेश दे रहे हैं कि नदियों को प्रदूषण से मुक्त रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं तो इसका नुकसान भी हमें ही उठाना होगा। जैसे गोकुलवासियों ने विष के डर के कारण कालिया नाग को यमुना से भगाने का प्रयास नहीं किया तो उनके ही पशु उसके विष से मारे गए।

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