जया एकादशी 5 फरवरी को, इस दिन व्रत व पूजा करने से मिलती है प्रेत योनि से मुक्ति

Published : Feb 04, 2020, 12:47 PM IST
जया एकादशी 5 फरवरी को, इस दिन व्रत व पूजा करने से मिलती है प्रेत योनि से मुक्ति

सार

माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसे अजा व भीष्म एकादशी भी कहा गया है। इस बार ये एकादशी 5 फरवरी, बुधवार को है।

उज्जैन. इस दिन भगवान विष्णु के को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है। इस एकादशी का व्रत विधि-विधान करने से तथा ब्राह्मण को भोजन कराने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है।

इस विधि से करें जया एकादशी
- व्रती (व्रत रखने वाले) दशमी तिथि को भी एक समय भोजन करें। इस बात का ध्यान रखें की भोजन सात्विक हो।
- एकादशी तिथि की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीविष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प करें।
- इसके बाद धूप, दीप, चंदन, फल, तिल, एवं पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूरे दिन व्रत रखें। संभव हो तो रात्रि में भी व्रत रखकर जागरण करें। अगर रात्रि में व्रत संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं।
- द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें जनेऊ व सुपारी देकर विदा करें फिर भोजन करें।
- इस प्रकार नियमपूर्वक जया एकादशी का व्रत करने से महान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
- धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो जया एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें पिशाच योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता।
 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 17 दिसंबर 2025: आज करें बुध प्रदोष व्रत, चंद्रमा बदलेगा राशि, जानें अभिजीत मुहूर्त का समय
Aaj Ka Panchang 16 दिसंबर 2025: धनु संक्रांति आज, शुरू होगा खर मास, कौन-से शुभ-अशुभ योग बनेंगे?