कालभैरव अष्टमी 19 नवंबर को, ये हैं शिव के अवतार, तंत्र सिद्धि के लिए की जाती है इनकी पूजा

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा की जाती है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 5:57 AM IST

उज्जैन. धर्म शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव अवतार लिया था। इस बार काल भैरवाष्टमी का पर्व 19 नवंबर, मंगलवार को है। भगवान शिव ने भैरव अवतार क्यों लिया, इससे जुड़ी कथा इस प्रकार है-

ये है भैरव अवतार की कथा
शिवपुराण के अनुसार, एक बार भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को श्रेष्ठ मानने लगे। इस विषय में जब वेदों से पूछा गया तब उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। किंतु ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन कर दिया। तभी वहां तेज-पुंज के मध्य एक पुरुषाकृति दिखलाई पड़ी। उन्हें देखकर ब्रह्माजी ने कहा- चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो। अत: मेरी शरण में आओ।
ब्रह्मा की ऐसी बात सुनकर भगवान शंकर को क्रोध आ गया। उन्होंने उस पुरुषाकृति से कहा- काल की भांति शोभित होने के कारण आप साक्षात कालराज हैं। भीषण होने से भैरव हैं। आप से काल भी भयभीत रहेगा, अत: आप कालभैरव हैं। मुक्तिपुरी काशी का आधिपत्य आपको सर्वदा प्राप्त रहेगा। उक्त नगरी के पापियों के शासक भी आप ही होंगे। भगवान शंकर से इन वरों को प्राप्त कर कालभैरव ने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्मा का पांचवा सिर काट दिया।

Latest Videos

अवगुण त्यागना सीखें भैरव अवतार से
भैरव को भगवान शंकर का पूर्ण रूप माना गया है। भगवान शंकर के इस अवतार से हमें अवगुणों को त्यागना सीखना चाहिए। भैरव के बारे में प्रचलित है कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले तथा मदिरा के सेवन करने वाले हैं।
इस अवतार का मूल उद्देश्य है कि मनुष्य अपने सारे अवगुण जैसे- मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: धर्ममय आचरण करें। भैरव अवतार हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि हर कार्य सोच-विचार कर करना ही ठीक रहता है। बिना विचारे कार्य करने से पद व प्रतिष्ठा धूमिल होती है।

तंत्र-मंत्र के ज्ञाता हैं कालभैरव
भगवान भैरवनाथजी तंत्र-मंत्र विधाओं के ज्ञाता हैं। इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना अधूरी रहती है। इनके 52 रूप माने जाते हैं। इनकी कृपा प्राप्त करके भक्त निर्भय और सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। भैरवनाथ अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं। वे सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं।

Share this article
click me!

Latest Videos

रोचक किस्साः गुजरात के भैंसों का कमाल, ब्राजील हो गया मालामाल
J&K में अमित शाह ने विपक्ष को धो डाला, कहा- '40 हजार हत्याओं के जिम्मेदार हैं 2 लोग'
दिल का दौरा पड़ते ही करें 6 काम, बच जाएगी पेशेंट की जान #Shorts
उपचुनाव में डिसाइडिंग फैक्टर साबित हो सकती है मायावती की एंट्री, 5 प्वाइंट में समझिए कैसे
हॉस्टल में बलिः स्कूल को चमकाने के लिए 3 टीचरों ने छीना एक मां का लाल