अधिक मास क्यों जरूरी, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक आधार, क्या है हिंदी और अंग्रेजी कैलेंडर में अंतर?

Published : Sep 20, 2020, 02:04 PM IST
अधिक मास क्यों जरूरी, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक आधार, क्या है हिंदी और अंग्रेजी कैलेंडर में अंतर?

सार

हर साल आश्विन मास में पितृ पक्ष की अमावस्या के बाद अगले दिन से ही नवरात्रि शुरू हो जाती है। लेकिन, इस बार अधिकमास की वजह से नवरात्रि पूरे एक माह देरी से यानी 17 अक्टूबर से शुरू होगी।

उज्जैन. हिन्दी पंचांग में हर तीन साल में एक बार अतिरिक्त माह आता है, इसे ही अधिक मास, पुरुषोत्तम मास और मलमास के नामों से जाना जाता है। इस बार ये माह 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 160 साल बाद आश्विन मास का अधिकमास और अंग्रेजी कैलेंडर के लीप ईयर का संयोग बना है। अश्विन माह का अधिक मास 19 वर्ष बाद आया है। इससे पहले 2001 में आया था।

अंग्रेजी कैलेंडर और हिन्दू पंचांग में अंतर?
अंग्रेजी कैलेंडर सूर्य वर्ष पर आधारित है। इसके मुताबिक एक सूर्य वर्ष में 365 दिन और करीब 6 घंटे होते हैं। हर चार साल में ये 6-6 घंटे एक दिन के बराबर हो जाते हैं और उस साल फरवरी में 29 दिन रहते हैं। जबकि, हिन्दू पंचांग चंद्र वर्ष के आधार पर चलता है।
एक चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैं। इन दोनों सूर्य और चंद्र वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर रहता है। हर तीन साल में ये अंतर 1 महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को खत्म करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास यानी अधिक मास की व्यवस्था की गई है। अतिरिक्त महीना होने की वजह से इसका नाम अधिक मास है।

अधिक मास से क्या लाभ?
अधिक मास की वजह से सभी हिन्दू त्योहारों और ऋतुओं का तालमेल बना रहता है। जैसे, सावन माह वर्षा ऋतु में और दीपावली सर्दियों की शुरुआत में ही आती है। इसी तरह सभी त्योहार अपनी-अपनी ऋतुओं में ही आते हैं। अगर इस माह की व्यवस्था न होती तो सभी त्योहारों की ऋतुएं बदलती रहती। जैसे अधिक मास न होता तो दीपावली कभी बारिश में, कभी गर्मी में और कभी सर्दियों में आती।

इसे मलमास क्यों कहते हैं?
अधिक मास में सूर्य की संक्राति नहीं होती है यानी पूरे माह में सूर्य का राशि परिवर्तन नहीं होता है। इस कारण ये माह मलिन हो जाता है, मलिन मास यानी मलमास। माह में नामकरण, जनेऊ संस्कार, विवाह आदि मांगलिक कर्म के मुहूर्त नहीं रहते हैं। इस माह में जरूरत की चीजें खरीदी जा सकती हैं। विवाह की तारीख तय कर सकते हैं। नए घर की बुकिंग भी की जा सकती है।

इस माह में भगवान विष्णु की आराधना क्यों की जाती है?
इस संबंध में कथा प्रचलित है कि मलिन माह होने की वजह से कोई भी देवता इस माह का स्वामी नहीं बनना चाहता था। तब मलमास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। इसके बाद विष्णुजी ने इस मास को अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम दिया। साथ ही, ये वर भी दिया कि माह में भागवत कथा सुनना, पढ़ना, शिवजी का पूजन करना, धार्मिक कर्म, दान करने वाले भक्तों को अक्षय पुण्य प्राप्त होगा।

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 8 दिसंबर 2025: आज कौन-सी तिथि और नक्षत्र? जानें दिन भर के मुहूर्त की डिटेल
Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?