महिलाएं पैरों की उंगलियों में चांदी की बिछिया क्यों पहनती हैं, क्या है इस परंपरा से जुड़ा विज्ञान?

हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक कुल सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में विवाह सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। विवाह के बाद स्त्रियों के लिए पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनना अनिवार्य होता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 24, 2020 8:24 AM IST

उज्जैन. हिंदू धर्म में जन्म से मृत्यु तक कुल सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में विवाह सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। विवाह के बाद स्त्रियों के लिए पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनना अनिवार्य होता है। ये परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार बिछिया का संबंध पति के भाग्य से भी होता है। ये सुहाग की निशानी है। इससे स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी मिलते हैं। जानिए बिछिया से जुड़ी कुछ खास बातें...

1. पं. शर्मा के अनुसार विवाहित महिलाओं को चांदी के बिछिया ही पहनना चाहिए। इस संबंध में ज्योतिष की मान्यता है कि सोना गुरु ग्रह की धातु है। ये ग्रह वैवाहिक जीवन का कारक होता है। सोना पैरों में पहनने से गुरु ग्रह के दोष बढ़ते हैं, जिससे पति का भाग्य बिगड़ सकता है। इसीलिए पैरों में सोने के गहने पहनने की परंपरा नहीं है।
2. महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि उंगलियों में बिछिया ढीली न हो। अगर ये ढीली होंगी तो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। ज्योतिष के अनुसार ये पति के लिए भी शुभ नहीं होती है।
3. कभी भी अपनी पहनी हुई बिछिया किसी अन्य महिला को न दें। पुरानी बिछिया देकर नई बिछिया खरीद सकते हैं, लेकिन किसी को दान में न दें। ऐसा करने से पति के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं।

महिलाओं के बिछिया पहनने से मिलते हैं ये लाभ
पैरों की उंगलियों में पहनी गई बिछिया एक्यूप्रेशर का काम करती है। इन बिछियों से उंगलियों की नसों पर दबाव बना रहता है। ये नसे गर्भाशय से सीधी जुड़ी रहती हैं। इन नसों पर दबाव पड़ने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दर्द सहन करने की शक्ति मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार लगातार चांदी का संपर्क शरीर से होने पर रजत भस्म से मिलने वाले लाभ मिलते हैं।

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