पांडवों के मामा भी बने थे कौरवों के सेनापति, इस 1 वजह से दिया था उन्होंने दुर्योधन का साथ
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत में कई ऐसे पात्र हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे ही एक पात्र हैं राजा शल्य। राजा शल्य नकुल-सहदेव के मामा थे।
उज्जैन. महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत में कई ऐसे पात्र हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसे ही एक पात्र हैं राजा शल्य। राजा शल्य नकुल-सहदेव के मामा थे, लेकिन उन्होंने कौरवों की ओर से पांडवों के विरुद्ध युद्ध किया था। राजा शल्य ने ऐसा क्यों, जानिए-
राजा शल्य महाराज पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के भाई थे। इस रिश्ते से वे नकुल-सहदेव के मामा थे। जब उन्हें पता चला की कौरवों और पांडवों में युद्ध होने वाला है तो वे अपनी विशाल सेना लेकर पांडवों की सहायता के लिए निकल पड़े।
दुर्योधन को जब यह पता चला तो उसने राजा शल्य के मार्ग में विशाल सभा भवन बनवा दिए और साथ ही उनके मनोरंजन के लिए भी प्रबंध कर दिया। जहां भी राजा शल्य की सेना पड़ाव डालती, वहां दुर्योधन के मंत्री उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था कर देते।
इतनी अच्छी व्यवस्था देखकर राजा शल्य बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें लगा कि ये प्रबंध युधिष्ठिर ने करवाया है। राजा शल्य को प्रसन्न देखकर दुर्योधन उनके सामने आ गया और युद्ध में सहायता करने का निवेदन किया। राजा शल्य ने उन्हें हां कह दिया।
युधिष्ठिर के पास जाकर राजा शल्य ने उन्हें सारी बात बता दी। युधिष्ठिर ने कहा कि आपने दुर्योधन को जो वचन दिया है उसे पूरा कीजिए। युद्ध के समय आप कर्ण के सारथि बनकर उसे भला-बुरा कहिएगा ताकि उसका गर्व नष्ट हो जाए और उसे मारना आसान हो जाए।
राजा शल्य ने ऐसा ही किया। कर्ण की मृत्यु के बाद दुर्योधन ने राजा शल्य को कौरवों का सेनापति बनाया। युधिष्ठिर से युद्ध करते हुए राजा शल्य की मृत्यु हो गई।