मकान बनवाने से पहले उसकी नींव में चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा क्यों रखा जाता है?

Published : Jul 14, 2019, 01:02 PM ISTUpdated : Jul 14, 2019, 01:03 PM IST
मकान बनवाने से पहले उसकी नींव में चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा क्यों रखा जाता है?

सार

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, नए घर का भूमि पूजन करते समय नींव में कुछ चीजें डाली जाती हैं। इनमें चांदी के नाग-नागिन को जोड़ा प्रमुख है। मान्यता है कि ऐसा करने से भूमि का दोष खत्म हो जाता है।

उज्जैन. हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इन सभी के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक या धार्मिक कारण अवश्य होता है। ऐसी ही एक परंपरा है घर का निर्माण करवाने से पूर्व भूमि पूजन करने की। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, नए घर का भूमि पूजन करते समय नींव में कुछ चीजें डाली जाती हैं। इनमें चांदी के नाग-नागिन को जोड़ा प्रमुख है। मान्यता है कि ऐसा करने से भूमि का दोष खत्म हो जाता है। इस परंपरा के पीछे धार्मिक मान्यता के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक पक्ष भी छिपा है, जो इस प्रकार है...

ये है धार्मिक पक्ष
पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है-
शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।

अर्थ

  • परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया, जो पहाड़ों सहित सारी पृथ्वी को धारण किए हैं।
  • ग्रंथों के अनुसार, हजार फनों वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं। 
  • श्रीमद्भागवत के 10 वे अध्याय के 29 वें श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है- अनन्तश्चास्मि नागानां यानी- मैं नागों में शेषनाग हूं। 
  • मकान की नींव में चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा इस मान्यता के साथ डाला जाता है कि अब इस घर में भगवान का वास होगा और बुरी शक्तियां यहां नहीं आ पाएंगी।

 

ये है मनोवैज्ञानिक पक्ष

  • भूमि पूजन इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहें। 
  • शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं। इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें।
  • इसलिए इस परंपरा के पीछे कोई वैज्ञानिक पक्ष नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपा है।                                              

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 17 दिसंबर 2025: आज करें बुध प्रदोष व्रत, चंद्रमा बदलेगा राशि, जानें अभिजीत मुहूर्त का समय
Aaj Ka Panchang 16 दिसंबर 2025: धनु संक्रांति आज, शुरू होगा खर मास, कौन-से शुभ-अशुभ योग बनेंगे?