जन्माष्टमी: अच्छे काम का फल कई गुना होकर हमें वापस मिलता है, सीखिए श्रीकृष्ण से

भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों को अपने जीवन में उतारकर हम अनेक परेशानियों से बच सकते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2020 2:14 AM IST

उज्जैन. जन्माष्टमी (12 अगस्त) के अवसर पर हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक किस्से तथा उनमें छिपे लाइफ मैनेजमेंट के सूत्र बता रहे हैं-

इसलिए बढ़ गई थी द्रौपदी की साड़ी
द्रौपदी का चीरहरण होते समय भगवान ने उसकी सहायता की और उसकी साड़ी को इतना बढ़ा दिया कि दु:शासन उतार न सका। इसके पीछे क्या कारण है कि कृष्ण ने द्रौपदी की सहायता की। महाभारत में इस बात का जवाब है। बात उस समय की है जब पांडवों ने हस्तिनापुर से अलग होकर अपने लिए इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया। भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन में ही सारा निर्माण हुआ। उसके बाद युधिष्ठिर का राजतिलक करके राजसूय यज्ञ किया गया। इसमें दुनियाभर के राजाओं ने भाग लिया। यज्ञ में अग्रपूजा की बात आई। पंडितों ने युधिष्ठिर से कहा कि सबसे पहले वे किसकी पूजा करेंगे। भीष्म के कहने पर भगवान कृष्ण का नाम अग्रपूजा के लिए तय हुआ।
लगभग सभी राजा इसके लिए तैयार थे, लेकिन कृष्ण की बुआ का बेटा शिशुपाल इसके लिए तैयार नहीं था। उसका कहना था कि राजाओं की सभा में एक ग्वाले की अग्रपूजा करना सभी राजाओं का अपमान करने जैसा है। उसने कृष्ण को गालियां देना शुरू कर दिया। शिशुपाल के जन्म के समय ही यह भविष्यवाणी हो चुकी थी कि इसकी मौत कृष्ण के हाथों होगी, लेकिन कृष्ण ने अपनी बुआ को ये भरोसा दिलाया था कि वे सौ बार शिशुपाल से अपना अपमान सहन करेंगे।
इसके बाद ही उसका वध करेंगे। सभा में शिशुपाल ने सारी मर्यादाएं तोड़ दी और अनेकों बार कृष्ण का अपमान किया। सौ बार पूरा होते ही कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया। चक्र के प्रयोग से उनकी उंगली कट गई और उसमें से खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। उस समय कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया था कि इस कपड़े के एक-एक धागे का कर्ज वे समय आने पर चुकाएंगे। यह ऋण उन्होंने चीरहरण के समय चुकाया।

लाइफ मैनेजमेंट- अच्छा काम भविष्य के फिक्स डिपॉजिट की तरह होता है, जो समय आने पर आपको पूरे ब्याज सहित वापस मिलता है।

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