पंडितजी की बकरी को देख ठग ने कहा ये कुत्ता है, दूसरे ने मरा हुआ बछड़ा बताया, जानें पंडितजी ने क्या किया?

कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी का भी नुकसान करने से नहीं चूकते। वे सिर्फ अपना ही हित साधना चाहते हैं। ये लोगों को मूर्ख बनाकर या ठगी करके अपना स्वार्थ हित करने में लगे रहते हैं।

उज्जैन. स्वार्थी और ठग लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिए और इनकी बातों में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए, नहीं तो हमारा नुकसान हो सकता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि कभी भी किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए और न ही उसके कहने में आकर कोई काम करना चाहिए।

जब पंडितजी को ठगों ने बनाया मूर्ख
किसी समय एक गांव में एक विद्वान पंडित रहा करते थे। वो पूजा-पाठ आदि करवाकर अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन पास के गांव में एक सेठ ने पंडितजी को पूजा करवाने अपने घर पर बुलवाया। पूजा से प्रसन्न होकर सेठ ने दान में पंडितजी को एक बकरी दी।
बकरी पाकर पंडितजी भी बहुत खुश हो गए और उसे अपने कंधे पर लादकर गांव की ओर निकल पड़े। तभी रास्ते में तीन ठगों ने पंडितजी को बकरी ले जाते देखा तो उन्होंने पंडितजी को मूर्ख बनाकर बकरी हथियाने की सोची। इसके लिए उन तीनों ठगों ने एक योजना बनाई। 
एक ठग पंडितजी के पास गया और बोला कि “आप इस कुत्ते को कंधे पर लादकर कहां ले जा रहे हो?” 
उसकी बात सुनकर पंडितजी हंसने लगे और बोले “ये कुत्ता नहीं बकरी है, क्या तुम्हें इतना भी नहीं पता?” 
उस ठग ने कहा “नहीं पंडितजी ये कुत्ता ही है।” पंडितजी उसकी बात को अनसुनी करके आगे चल पड़े।
कुछ देर बाद पंडित के पास दूसरा ठग आया और उसने कहा कि “पंडित जी आप अपने कंधे पर मरे हुए बछड़े को लादकर कहां ले जा रहे हो।” 
इस बार पंडितजी को गुस्सा आ गया और वे बोले “तुम बिल्कुल मूर्ख जान पड़ते हो, ये बकरी है ना कि मरा हुआ बछड़ा।”
दूसरे ठग ने कहा “मुझे तो जो दिखाई दिया, मैंने तो बस आपने वही बोला।” इतना कहकर दूसरा ठग भी चला गया।
थोड़ी देर बाद तीसरा ठग पंडितजी के पास पहुंचा और बोला “पंडितजी आप इतने विद्वान है फिर भी आप अपने कंधे पर किस जीव का अस्थि पिंजर लेकर घूम रहे हैं? अगर कोई आपको ऐसे देखेगा तो आपकी इज्जत नहीं करेगा।”
पंडित ने कहा “यह अस्थि पिंजर नहीं, बल्कि बकरी है। तुम्हें दिखाई नहीं देता।” 
तीसरा ठग ने कहा “जो मुझे दिखाई दिया, मैंने तो आपसे वही कहा।” इतना कहकर तीसरा ठग भी वहां से चला गया।
इसके बाद पंडितजी सोच में पड़ गए। उन्होंने सोचा कि यह बकरी नहीं, कोई मायावी जीव है, जो बार-बार अपना रूप बदल रहा है। पंडित ने तुरंत बकरी को नीचे उतार दिया और सरपट अपने गांव को ओर चल पड़े। इसके बाद तीनों ठगों ने बकरी पर अपना अधिकार कर लिया।

निष्कर्ष ये है कि…
जिन लोगों को हम नहीं जानते उन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जिससे हमारा नुकसान भी हो सकता है। ऐसे मामलों में अपने विश्वासपात्र लोगों को राय जरूर लेनी चाहिए।

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