लाइफ मैनेजमेंट: जहां बहुत सारे मूर्ख बैठे हों, वहां अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

Published : Apr 17, 2020, 03:57 PM IST
लाइफ मैनेजमेंट: जहां बहुत सारे मूर्ख बैठे हों, वहां अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए

सार

गोस्वामी तुलसीदास रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि थे। तुलसीदासजी ने श्रीरामचरित मानस के अलावा अन्य कई ग्रंथों की रचना भी की है। उनके ग्रंथों में ऐसे अनेक दोहे हैं, जिनमें लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्र छिपे हैं।

उज्जैन. गोस्वामी तुलसीदास रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि थे। इन्हें महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। तुलसीदासजी ने श्रीरामचरित मानस के अलावा अन्य कई ग्रंथों की रचना भी की है। उनके ग्रंथों में ऐसे अनेक दोहे हैं, जिनमें लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्र छिपे हैं। ऐसा ही एक दोहा ये भी है...

दोहा
तुलसी पावस के समय, धरी कोकिलन मौन।
अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन॥

अर्थ- तुलसीदास जी कहते हैं, वर्षा ऋतु में मेंढकों के टर्राने की आवाज इतनी ज्यादा हो जाती है कि कोयल की मीठी वाणी उनके शोर में दब जाती है। इसलिए कोयल मौन धारण कर लेती है।

लाइफ मैनेजमेंट ये है कि

  • जिस जगह बहुत सारे मूर्ख इकट्‌ठा हो जाएं वहां समझदार व्यक्ति को चुप ही रहना चाहिए।
  • क्योंकि जब धूर्त और मूर्खों का बोलबाला हो जाता है तब समझदार व्यक्ति की बात पर कोई ध्यान नहीं देता है। - ऐसे समय में चुप रहने में ही भलाई है। अगर कोई समझदार व्यक्ति उस समय अपना ज्ञान का प्रदर्शन करता है तो उसे दुश्मन समझा जाता है।
  • ऐसी स्थिति में मूर्खों की भीड़ ज्ञानवान मनुष्य को हानि भी पहुंचा सकती है।
  • इसलिए तुलसीदासजी लिखते हैं कि जब बहुत सारे मूर्ख और धूर्त लोग एकत्रित हों, वहां अपने ज्ञान का प्रदर्शन करना उचित नहीं है।

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