लाइफ मैनेजमेंट: समय आने पर नई पीढ़ी को मौका देना चाहिए, जैसा श्रीराम ने अंगद के साथ किया

रामायण में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र छिपे हैं। ये सूत्र हमारे वर्तमान जीवन के लिए भी बेहद जरूरी हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 12, 2020 4:43 AM IST

उज्जैन. रामायण में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र छिपे हैं। ये सूत्र हमारे वर्तमान जीवन के लिए भी बेहद जरूरी हैं। रामायण के एक प्रसंग में जब सीता की खोज करते-करते राम-लक्ष्मण की मित्रता सुग्रीव से हो गई। तब सुग्रीव ने सीता की खोज करने के लिए वानरों को चारों दिशाओं में भेजा। तब हनुमानजी समुद्र पार कर लंका पहुंचे। हनुमानजी ने सिर्फ माता सीता का पता लगाया और लंका में आग लगा दी। इसके बाद हनुमान ने आकर पूरी बात श्रीराम को
बताई। श्रीराम वानरों व रीछों की सेना लेकर समुद्र तट तक आ गए।

वानरों ने सागर पर पुल का निर्माण किया। इस पर चलकर श्रीराम सहित पूरी सेना सागर के दूसरी ओर आ गई। तब श्रीराम ने सोचा कि अपना दूत भेजकर रावण को सावधान किया जाए। सभी ने कहा कि हनुमानजी को ही दूत बनाकर भेजना चाहिए। लेकिन श्रीराम ने बाली पुत्र अंगद पर विश्वास किया और लंका भेजा। अंगद के समझाने पर भी जब रावण नहीं माना तो अंगद ने अपना एक पैर जमीन पर रखकर रावण को चुनौती दी कि यदि मेरा पैर किसी ने हिला
दिया तो श्रीराम बिना युद्ध किए सीता को छोड़कर यहां से चले जाएंगे, लेकिन कोई भी अंगद के पैर को हिला नहीं सका। इसके बाद श्रीराम व रावण की सेना में भयंकर युद्ध शुरू हुआ।

लाइफ मैनेजमेंट
1. समय आने पर नई पीढ़ी को मौका देना चाहिए। तभी उनके गुणों की पहचान होती है। कई बार प्रतिभा होने के बाद लोगों को मौका नहीं मिल पाता और वे हतोत्साहित हो जाते हैं।
2. जब आपको कोई नई और विशेष जिम्मेदारी दी जाए तो सबसे पहले आपको स्वयं पर विश्वास होना जरूरी है। क्योंकि यदि आपको स्वयं पर ही विश्वास नहीं होगा तो आप वह जिम्मेदारी ठीक से निभा नहीं पाएंगे।
3. जब श्रीराम ने अंगद को दूत बनकर रावण के पास जाने की जिम्मेदारी सौंपी तो अंगद को स्वयं पर विश्वास था। इसी विश्वास के चलते उसने न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी पूरी की बल्कि रावण का घमंड भी तोड़ दिया।

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