चातुर्मास में पाताल में निवास करेंगे भगवान विष्णु, 1 जुलाई को इस आसान विधि से करें पूजा

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक पाताल में शयन करते हैं। ये चार महीने चातुर्मास कहलाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jun 30, 2020 2:04 AM IST

उज्जैन. चातुर्मास को भगवान की भक्ति करने का समय बताया गया है। इस दौरान कोई मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते। इस बार देवशयनी एकादशी 1जुलाई, बुधवार को है।

4 महीने पाताल में रहेंगे भगवान विष्णु
धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में दैत्यराज बलि से तीन पग भूमि दान के रूप में मांगी थी। भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढक लिया। अगले पग में सम्पूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया। तीसरे पग में बलि ने अपने आप को समर्पित करते हुए सिर पर पग रखने को कहा। इस प्रकार के दान से प्रसन्न होकर भगवान ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और कहा वर मांगो।
बलि ने वर मांगते हुए कहा कि भगवान आप मेरे महल में निवास करें। तब भगवान ने बलि की भक्ति को देखते हुए चार मास तक उसके महल में रहने का वरदान दिया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं।

इस विधि से करें देवशयनी एकादशी की पूजा और व्रत
- देवशयनी एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद घर की साफ-सफाई करें और पवित्र जल का घर में छिड़काव करें।
- इसके बाद घर के पूजन स्थल अथवा किसी भी पवित्र स्थल पर भगवान विष्णु की सोने, चाँदी, तांबे अथवा पीतल की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को कुंकुम, चावल आदि चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और पीतांबर (पीला कपड़ा) भी अर्पित करें। इसके बाद व्रत की कथा सुनें।
- इसके बाद आरती कर प्रसाद बांटें। अंत में सफेद चादर से ढँके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्रीविष्णु को शयन कराएं तथा स्वयं धरती पर सोएं।
- धर्म शास्त्रों के अनुसार यदि व्रती (व्रत रखने वाला) चातुर्मास नियमों का पालन करें तो उसे देवशयनी एकादशी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।

 

Share this article
click me!