Shraddh Paksha 2022: पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भूलकर भी न करें श्राद्ध, नहीं तो फंस सकते हैं मुसीबत में

Shraddh Paksha 2022: श्राद्ध पक्ष में हर तिथि का अपना खास महत्व होता है। लेकिन इन सभी में चतुर्दशी तिथि बहुत खास मानी गई है। इस दिन सिर्फ उन्हीं लोगों का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु घटना-दुर्घटना में या किसी शस्त्र के द्वारा हुई हो। 
 

Manish Meharele | Published : Sep 20, 2022 4:29 AM IST

उज्जैन. श्राद्ध (Shraddh Paksha 2022) के दौरान मृत्यु तिथि पर ही मृत परिजनों का श्राद्ध करने की परंपरा है, लेकिन चतुर्दशी तिथि पर ऐसा नहीं करना चाहिए। महाभारत (Mahabharata) के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि पितृ पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी के द्वारा शस्त्र (हथियार) से हुई हो, या फिर किसी घटना-दुर्घटना में। चाहे उसकी मृत्यु किसी भी तिथि पर हुई हो। ऐसा करना शुभ रहता है।

ये भी लिखा है महाभारत में
महाभारत के अनुसार, यदि किसी परिजन की मृत्यु सामान्य रूप से चतुर्दशी तिथि पर हुई हो तो उसका श्राद्ध इस दिन न करते हुए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर करना चाहिए। जो लोग सामान्य रूप से मृत व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करते हैं, उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके बारे में भी महाभारत भीष्म पितामाह ने युधिष्ठिर को बताया है। 

1. महाभारत के अनुसार, जिन पितरों की मृत्यु चतुर्दशी तिथि पर स्वभाविक रूप से यानी सामान्य अवस्था में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि पर गलती से भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से श्राद्ध करने वाला विवादों में घिर जाता है। 
2. कूर्मपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति सामान्य रूप से मृत व्यक्ति का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करता है उसे अयोग्य संतान की प्राप्ति होती है। याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। नहीं तो निकट भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
3. यदि किसी पूर्वज की मृत्यु हथियार या घटना-दुर्घटना में हुई हो और उनकी मृत्यु तिथि पता न हो तो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं व अपने वंशजों पर उनकी कृपा बनी रहती है। 
4. अगर हथियार से मारे गए परिजन की मृत्यु तिथि ज्ञात हो तो भी चतुर्दशी को उनके लिए तर्पण और पिंडदान जरूर करना चाहिए। ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है।
5. चतुर्दशी तिथि पर यदि किसी परिजन की मृत्यु स्वभाविक रूप से हुई हो तो उनकी आत्मा की शांति के लिए सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को श्राद्ध करना चाहिए।


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