Mahabharata: इस योद्धा को सिर्फ 6 लोग मार सकते थे, बहुत ही दर्दनाक तरीके से हुई थी इसकी मृत्यु

interesting facts of Mahabharata: महाभारत में कई पराक्रमी योद्धाओं का वर्णन है, कीचक भी इनमें से एक था। कीचक विराट नगर के राजा विराट का साला और सेनापति था। उससे डरकर आस-पास के कई राज्य विराट नगर पर हमला करने से घबराते थे।
 

Manish Meharele | Published : Nov 29, 2022 7:28 AM IST

उज्जैन. जुएं में अपना राज-पाठ हारने के बाद पांडवों को 12 साल वनवास और एक साल के अज्ञातवास पर जाना पड़ा। (Mahabharata) अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव और द्रौपदी विराट नगर में नाम बदलकर रहने लगे। यहां के राजा विराट का साला था कीचक। ये महाबलशाली था। संसार में सिर्फ कुछ ही लोग उसके समान बल वाले थे। विराट नगर में रहते हुए भीम ने ही उसका वध किया था। भीम ने कीचक का वध (Kichak Vadh)  क्यों किया और उसके वध से कौरवों को पांडवों का पता कैसे चला आगे जानिए…

विराट नगर में पांडव किस रूप में रहते थे?
पांडवों ने अपना अज्ञातवास काटने के लिए विराट नगर को चुना और यहां वे अपना रूप और नाम बदलकर रहने लगे। युधिष्ठिर राजा विराट के सलाहकार के रूप में, भीम रसोइए के रूप में काम करने लगे। अर्जुन वृहन्नला के रूप में राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य सिखाने लगे, वहीं नकुल राजा विराट की गौशाला और सहदेव अश्वशाला संभालने लगे।  

कीचक की नजर थी द्रौपदी पर
द्रौपदी विराट नगर में रानी सुदेष्ण की सहायिका बनकर रहने लगी। रानी सुदेष्ण के भाई कीचक ने जब द्रौपदी को देखा तो वह मोहित हो गया। कीचक ने द्रौपदी के सामने विवाह का प्रस्ताव भी रखा, लेकिन द्रौपदी ने इनकार कर दिया। एक बार कीचक ने द्रौपदी को अकेला पाकर उसके साथ दुराचार करने का प्रयास किया। ये बात जानकर भीम ने कीचक का वध करने की ठान ली। 

भीम ने बहुत भयानक मौत दी कीचक को
कीचक का वध करने के लिए द्रौपदी ने उसे रात में महल की नृत्यशाला में अकेले बुलवाया, यहां भीम पहले से उसका इंतजार कर रहे थे। भीम और कीचक में भयंकर युद्ध हुआ। कीचक को हराना आसान नहीं था क्योंकि वह भी परम शक्तिशाली था, लेकिन अंत में भीम ने उसका वध कर दिया। भीम ने कीचक को इस तरह मारा कि वह मांस का गोला दिखाई देने लगा। 

जब दुर्योधन को मिली कीचक वध की सूचना
कीचक के मारे जाने की सूचना जब दुर्योधन की मिली तो वह सोच में पड़ गया क्योंकि कीचक को सिर्फ 6 लोग ही मार सकते थे- वे थे बलराम, गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामाह, कर्ण, भीम और वो स्वयं। ये बात जानकर दुर्योधन को विश्वास हो गया कि भीम ने ही कीचक का वध किया है। यही सोचकर दुर्योधन ने विराट नगर पर हमला किया, जिसमें अर्जुन ने गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म और कर्ण सहित सभी योद्धाओं को अकेले ही हरा दिया था।


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