पांडवों को मारने दुर्योधन के इस मंत्री ने बनवाया था खास महल, तुरंत जलने वाली इन चीजों का किया था उपयोग

महाभारत (Mahabharat) की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमय भी है। इसके प्रमुख पात्रों के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन इसमें कई ऐसे पात्र भी हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 3, 2022 5:59 AM IST

उज्जैन. महाभारत में कुछ पात्रों के बारे में कम ही जानकारी मिलती है, लेकिन इनके द्वारा कुछ ऐसे काम किए गए जो युद्ध का कारण बने। महाभारत का ऐसा ही एक पात्र है पुरोचन (Purochan)। ये दुर्योधन (Duryodhana) का मंत्री था और विश्वसनीय भी। पांडवों (Pandavas) को वारणावत (varanavat) के लाक्षागृह (Lakshagriha) में जलाकर मारने की योजना में पुरोचन की काफी खास भूमिका थी। आज हम आपको पुरोचन और लाक्षागृह से जुड़ी पूरी घटना के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

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पुरोचन ने बनवाया था लाक्षागृह
पांडव जब युवा हुए तो उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। न चाहते हुए भी धृतराष्ट्र को युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का युवराज बनाना पड़ा। ये देखकर दुर्योधन ने पांडवों को मारने की योजना बनाई और वारणावत नामक स्थान पर अपने मंत्री पुरोचन से एक महल बनवाया। वह महल सन, राल व लकड़ी से बना था जिससे की वह पलभर में जलकर राख हो जाए। पुरोचन ने ये काम बहुत ही बारीकी से करवाया ताकि पांडवों को इस बात का पता न चले।

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महात्मा विदुर ने बनावाई थी सुरंग
दुर्योधन ने किसी तरह पांडवों को वहां जाने के लिए राजी कर लिया। जब पाण्डव वारणावत जाने लगे तो विदुरजी ने युधिष्ठिर को सांकेतिक भाषा में उस महल का रहस्य युधिष्ठिर को बता दिया और उससे बचने के उपाय भी दिए। विदुरजी की सारी बात युधिष्ठिर ने अच्छी तरह से समझ ली। योजना के अनुसार पांडव लाक्षागृह में रहने लगे। महात्मा विदुर के एक व्यक्ति ने उसमें गुप्त सुरंग बनायी, जिसके द्वारा आग लगने की स्थिति में निकल सकना सम्भव था।

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एक साल तक वारणावत में रहें पांडव
पांडव लगभग एक साल तक वारणावत नगर में रहे। एक दिन कुंती ने ब्राह्ण भोज कराया। जब सब लोग खा-पीकर चले गए तो वहां एक भील स्त्री अपने पांच पुत्रों के साथ भोजन मांगने आई और वे सब उस रात वहीं सो गए। उसी रात भीम ने स्वयं महल में आग लगा दी और गुप्त रास्ते से बाहर निकल गए। लोगों ने जब सुबह भील स्त्री और अन्य पांच शव देखे तो उन्हें लगा कि पांडव कुंती सहित जल कर मर गए हैं। इसी अग्नि में पुरोचन भी जलकर मर गया।

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