Mahashivratri 2022: त्रिदेवों का प्रतीक है ये ज्योतिर्लिंग, दक्षिण की गंगा कही जाती है यहां बहने वाली ये नदी

इस बार 1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के लाखों मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। इन सभी ज्योतिर्लिंग के साथ कोई न कोई मान्यता और विशेष परंपरा जुड़ी हुई है।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 27, 2022 5:38 AM IST / Updated: Feb 28 2022, 05:57 PM IST

उज्जैन. प्रमुख 12 ज्योतर्लिंगों में त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) का स्थान आठवां है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) जिले में स्थित है। इसके समीप ब्रह्म गिरि पर्वत है, जहां से गोदावरी नदी निकली है। त्र्यम्बकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना है। इस मंदिर में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है, जिन्हें भक्तजन अलग-अलग मुराद पूरी होने के लिए करवाते हैं। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के अवसर पर जानिए इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…

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ऋषि गौतम ने तपस्या की थी इस स्थान पर
शिवपुराण के अनुसार प्राचीनकाल में त्र्यम्बक गौतम ऋषि की तपोभूमि थी। अपने ऊपर लगे गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप कर शिव से गंगा को यहां अवतरित करने का वरदान मांगा। फलस्वरूप दक्षिण की गंगा अर्थात गोदावरी नदी का उद्गम हुआ। गोदावरी के उद्गम के साथ ही गौतम ऋषि द्वारा प्रार्थना करने पर शिवजी ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर होना स्वीकार किया। तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहां विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा।

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त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
1.
 इस मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं।
2. इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था।
3. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ।
4. कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब 16 लाख रुपए खर्च किए गए थे, जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।

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कैसे जाएं?
त्र्यम्बकेश्वर गाँव नासिक से काफी नजदीक है। नासिक पूरे देश से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप नासिक पहुंचकर वहां से त्र्यम्बक के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।

 

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