Mahashivratri 2022: झारखंड के इस स्थान को कहते हैं देवताओं का घर, यहां है रावण द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग

राक्षसराज रावण (ravana) भगवान शिव का अनन्य भक्त था, ये बात तो सभी जानते हैं। रावण ने ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत (Shiva Tandava Stotra) की रचना की थी। रावण से संबंधित एक ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) भी है। इसे वैद्यनाथ (Vaidyanath Jyotirling) कहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 27, 2022 6:52 AM IST

उज्जैन. प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में वैद्यनाथ का स्थान नौवा है। यह ज्योतिर्लिंग झारखंड (Jharkhand) के देवघर (Deoghar) नामक स्थान पर स्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम (Vaidyanath Dham) भी कहते हैं। जहां पर यह मंदिर स्थित है उस स्थान को देवघर अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यहां पर आने वालों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। इस बार महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) 1 मार्च, मंगलवार को है। इस मौके पर हम आपको वैद्यनाथ धाम से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं…

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रावण से जुड़ी इस मंदिर की कथा
शिवपुराण के अनुसार राक्षसराज रावण भगवान शिव का परमभक्त था। एक बार उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया। इस पर भी जब महादेव प्रसन्न नहीं हुए तो वह अपने मस्तक काट-काट कर अर्पण करने लगा। रावण की भक्ति देख कर भगवान शिव प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने के लिए कहा। 
रावण ने महादेव को लंका ले जाने की इच्छा प्रकट की। तब भगवान शिव ने उसे एक शिवलिंग दिया और कहा कि यह मेरा ही स्वरूप है। तुम इसे लंका लेकर स्थापित करो। शिवजी ने रावण से यह भी कहा कि यदि तुमने मार्ग के बीच में कहीं इस लिंग को रखा तो यह वहीं स्थिर हो जाएगा। इस प्रकार महादेव से शिवलिंग लेकर रावण लंका जाने लगा।  
मार्ग में रावण को लघुशंका की तीव्र इच्छा हुई। तब उसने एक ग्वाले को वह शिवलिंग दिया और स्वयं लघुशंका के लिए चला गया। उस शिवलिंग का भार वह ग्वाला अधिक देर तक न उठा सका और उसने वह शिवलिंग भूमि पर रख दिया। इस प्रकार वह शिवलिंग उसी स्थान पर स्थिर हो गया। बहुत प्रयास के बाद भी जब रावण शिवलिंग नहीं उठा पाया तो वह उस शिवलिंग को वहीं छोड़कर लंका चला गया। कालांतर में यही शिवलिंग वैद्यनाथ के रूप में पूजा जाने लगा।

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वैद्यनाथ धाम से जुड़ी खास बातें
1.
विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दिखाई देता है, मगर वैद्यनाथ धाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।
2. कहा जाता है कि रावण पंचशूल से ही लंका की सुरक्षा करता था। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, मां पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं।
3. इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है और इसके बाद पुन: सभी पंचशूलों को अपने स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है।
4. गौरतलब बात है कि पंचशूल को मंदिर से नीचे लाने और फिर ऊपर स्थापित करने का अधिकार स्थानीय एक ही परिवार को प्राप्त है।

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कैसे पहुंचे?
- देवघर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडिह  है, जो यहां से 10 किमी है। यह स्टेशन हावड़ा-पटना दिल्ली रेल लाइन पर स्थित है।
- वैद्यनाथ धाम से सबसे नजदीकी हवाई अड्डे राँची, गया, पटना और कोलकाता है। देवघर कोलकाता से 373 किमी, गिरिडीह से 112 किमी व पटना से 281 किमी है।
- भागलपुर, हजारीबाग, रांची, जमशेदपुर और गया से देवघर के लिए सीधी और नियमित बस सेवा उपलब्ध है।

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