मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान नागचंद्रेश्वर का प्राचीन मंदिर है, जिसके दर्शन के लिए एक दिन पहले ही लंबी कतारें लग जाती हैं।
उज्जैन. इन दिनों भगवान शिव का प्रिय सावन मास चल रहा है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 5 अगस्त, सोमवार को है। नागपंचमी पर नागों की पूजा करने का विधान है। इस दिन देश भर के विभिन्न नाग मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में भी भगवान नागचंद्रेश्वर का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की विशेषता है कि यह साल में सिर्फ एक बार (नागपंचमी) ही खुलता है।
मनमोहक प्रतिमा है नागचंद्रेश्वर की
ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के सबसे ऊपरी तल पर बने नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन करने लाखों लोग यहां नागपंचमी के दिन पहुंचते हैं। नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए एक दिन पहले ही यहां श्रृद्धालुओं को लंबी कतारें लग जाती हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही दाईं ओर भगवान नागचंद्रेश्वर की मनमोहक प्रतिमा के दर्शन होते हैं। शेषनाग के आसन पर विराजित शिव-पार्वती की सुंदर प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालुओं स्वयं को धन्य मानते हैं। यह प्रतिमा मराठाकालीन कला का उत्कृष्ट नमूना है। यह प्रतिमा शिव-शक्ति का साकार रूप है।
ये है इस मंदिर से जुड़ी कथा
सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है, इसलिए नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के बाहर भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।
कैसे पहुंचें
भोपाल-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित उज्जैन एक पवित्र धार्मिक नगरी है। इंदौर से उज्जैन सिर्फ 55 किलोमीटर दूर है। प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। नजदीकी एयरपोर्ट भी इंदौर ही है।